माहमारी के दौर में कोरोना संक्रमण से बचाएंगे पुराणों में दर्ज यह विशिष्ट उपाय, पढ़े और समझे
सामाजिक जानकारों के अनुसार 100 साल में एक एक ऐसी बीमारी या संक्रमण जन्म लेता है जो माहमारी का रूप धारण वैश्विक स्तर पर अपना आतंक दिखाता है। यही एक रूप कोरोना का है,लेकिन सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि इसका कोई अंत होता नजर नहीं आ रहा है, बल्कि इसकी दूसरी लहर पहले से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही है। विशेषज्ञ तो यह भी मान रहे हैं कि आने वाला समय और भी ज्यादा क्रिटिकल है, जब इसकी तीसरी लहर का सामना करना पड़ेगा।
हिन्दू धर्मशास्त्र
चिकित्सा जगत से जुड़े लोग अपनी कोशिश कर रहे हैं, सरकार अपने अनुसार कोशिश करने में जुटी है और व्यक्तिगत स्तर पर लोग अपने प्रयास जारी रखे हुए हैं। इस बीच हम आपको हिन्दू धर्मशास्त्र में उल्लिखित कुछ ऐसे श्लोक हैं जो आपको यह बताते हैं कि आप किस तरह कोरोना या अन्य किसी भी घातक वायरस से सुरक्षित रह सकते हैं।
न अप्रक्षालितं पूर्वधृतं वसनं बिभृयात्
यह श्लोक विष्णु स्मृति में दर्ज है जिसके अनुसार एक बार धोया गया कपड़ दोबारा बिना धोए कभी नहीं पहनना चाहिए। अगर आप दोबारा उस वस्त्र को धारण करते हैं तो वातावरण में मौजूद वायर्स उस कपड़े के जरिए आपके शरीर तक अपनी पहुंच बना लेते हैं।
चिताधूमे सेवने सर्वे वर्णा: स्नानम् आचार्य:। वमने श्मश्रु कर्मणि कृते च
विष्णु स्मृति में दर्ज इस श्लोक के अनुसार अगर आप श्मशान भूमि से लौट रहे हैं या आपने बाल कटवाए हैं या आपको उलटी हुई है तो आपको तुरंत उन कपड़ों को उतारकर स्वच्छ जल से स्नान कर साफ वस्त्र धारण करे
घ्राणास्ये वाससाच्छाद्य मलमूत्रं त्यजेत् बुध:
इस श्लोक का अर्थ है कि मूत्र त्याग हमेशा नाक, मुंह और सिर ढककर, मौन रहकर करना चाहिए, ऐसा करने से आप संक्रमण की चपेट में नहीं आएंगे। यह श्लोक मनुस्मृति में दर्ज है।
अपमृज्यान्न च स्नातो गात्राण्यम्बरपाणिभि:।
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार कभी भी गीले कपड़े से अपना शरीर कभी नहीं पोंछना चाहिए। गीले कपड़े से शरीर के संक्रमित होने की संभावना बढ़ती है।