बच्चों में दिखें ये पांच लक्षण, हो जाएं सावधान, हो सकता है ब्लड कैंसर
भारत में हर साल कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। आम लोगों की यह धारणा है कि कैंसर बुढ़ापे में ही होता है, लेकिन बच्चों को भी कैंसर हो जाता है। इनमें ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) के कई मामले देखने को मिलते हैं। ल्यूकेमिया अस्थि मज्जा सहित शरीर में रक्त बनाने वाले ऊतकों का कैंसर है। इस रोग में अस्थि मज्जा में श्वेत रक्त कोशिकाएं तेजी से और असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस कैंसर का इलाज संभव है, अगर इसका जल्द पता चल जाए तो मरीज की जान आसानी से बचाई जा सकती है।
ब्लड सेल ट्रांसप्लांट से इस कैंसर का आसानी से इलाज किया जा सकता है। कैंसर विशेषज्ञ डॉ. अनुराग कुमार के मुताबिक इस कैंसर के लिए कीमोथेरेपी के अलावा ब्लड सेल ट्रांसप्लांट एक कारगर इलाज है. यह प्रक्रिया थैलेसीमिया के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है। अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण किसी भी उम्र में किया जा सकता है। तीन से चार महीने के बच्चे में बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
आज आधुनिक तकनीक से 70-80 साल के मरीजों पर भी यह प्रक्रिया आसानी से की जा सकती है। हालांकि इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या लाखों में है, लेकिन रक्तदान करने वालों की संख्या 0.04 फीसदी ही है. ऐसे में कई मामलों में मरीजों का इलाज प्रभावित होता है। कोरोना के दौरान ब्लड कैंसर के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस दौरान डोनर नहीं मिलने से कई मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ।
बच्चों में ल्यूकेमिया के ये पांच लक्षण
1. इस कैंसर का सबसे आम लक्षण है भारी रक्तस्राव। शरीर के किसी अंग में चोट लग जाए तो घाव कई दिनों तक नहीं भरता। कोई भी चोट आसानी से फट जाती है और खून बह जाता है।
2. इस कैंसर में श्वेत रक्त कणिकाएं अनियमित रूप से बढ़ने लगती हैं। यह कई मामलों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। ऐसे में बार-बार खांसी, जुकाम और बुखार रहता है।
3. ब्लड कैंसर के लक्षणों में शरीर की हड्डियों में दर्द भी शामिल है। यह दर्द गठिया से अलग होता है। अगर हड्डी में दर्द की शिकायत बनी रहती है तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
4. शरीर का पीला पड़ना भी ब्लड कैंसर का संकेत है
5. अचानक वजन कम होना और भूख न लगना