इन फेस्टिवल से खिलतें है संस्कृति के रंग - टूरिस्ट के लिए भी बनते आकर्षण का केंद्र
राजस्थान में एक नहीं कई संस्कृतियों का राज है यहां के कण - कण में कई संस्कृतियों की खुशबु है। राजस्थानी धुनों पर थिरकने वाले ऊंट से लेकर आसमान में उड़ती पतंगों तक हर फेस्टिवल की अलग ही खास बात है। साल शुरू होने के साथ ही देश के अलग-अलग राज्यों में फेस्टिवल का आगाज होना भी लाज़मी है। वहीं पुरे साल राजस्थान में टूरिस्ट के लिए कई फेस्टिवल रहते है। आइये जानते राजस्थान के सबसे ज़्यादा फ़ेमस फेस्टिवल जो केवल एक फेस्ट ही नहीं बल्कि अपनी संस्कृति को भी प्रस्तुत करते है।
काइट फेस्टिवल - जयपुर
06 -14 जनवरी, 2019
जयपुर का अंतरराष्ट्रीय काइट फेस्टिवल एक शानदार आयोजन बन गया है। पतंग के शौकीनों के लिए ये बेस्ट फेस्टिवल है। काइट फेस्टिवल को मकर संक्रांति का त्यौहार कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है और इस दिन सूर्य दक्षणायन से उत्तरायण होते है और उत्तरायण को देवताओ का दिन माना जाता है इसलिए इस दिन तीर्थ में स्नान करना बहुत अच्छा माना जाता है।
इसके साथ ही ऐसा कहा जाता है की सर्दियों में सूर्य की किरण हमारे शरीर के लिए दवा के रूप में कार्य करती है। पतंग उड़ने के दौरान शरीर निरंतर सूर्य की किरणें पड़ती है जो अधिकांश संक्रमणों और सूक्ष्मता को खत्म कर शरीर में नई ऊर्जा का संचार करती है। जयपुर में रामबाग पैलेस में स्थित पोलो ग्राउंड में काइट कॉम्पिटिशन फेस्टिवल का आयोजन भी किया जाता है। जिसमे देश - विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं और अलग-अलग आकार की पतंगों को उड़ाने का लुत्फ उठाते हैं। इसकी शुरुआत गुजरात में 1989 में हुई थी।
कैमल फेस्टिवल - पुष्कर
राजस्थान पुष्कर का ऊंट मेला सबसे चर्चित मेला है। इसे 'पुष्कर मेला ' भी कहा जाता है। राजस्थान के पुष्कर शहर में लगने वाला ये पांच दिवसीय ऊंट और पशु मेला देश - विदेश तक फ़ेमस है। यह मेला भारत के मवेशियों के लिए सबसे बड़ा व्यापारिक मेला है। पर्यटक के लिए महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र बन गया है और इसकी हाइ लाइट मटका फाद, सबसे लंबे मूंछें और दुल्हन प्रतियोगिता, सांस्कृतिक नाच ये सब हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती है।
गंगौर फेस्टिवल - जयपुर
मार्च - अप्रैल
गंगौर का त्यौहार सबसे रंगीन त्यौहार है। ऐसा माना जाता है कि “गन” भगवान शिव के लिए है और “गौर” देवी पार्वती , गौरी के लिए है यह त्यौहार हिंदू कैलेंडर महीने “चैत्र” के पहले दिन शुरू होता है। नवविवाहित लड़कियाँ 18 दिन तक एक समय खाना कहती है। जिसे पूजा की पूरी प्रक्रिया माना जाता है महिलाएं अपने हाथों और पैरों पर महेंदी लगाती हैं और घेवर जैसी स्वादिष्ट मिठाईयाँ बनाती है। घेवर राजस्थान की काफी फ़ेमस मिठाई है जो अपने मित्रों और रिश्तेदारों में बाँटी जाती है।
इस त्यौहार केआखरी दिन माता गौरी की छवि के साथ उनकी सवारी निकली जाती है जो जयपुर के ज़ानानी-देवोधी पैलेस से शुरू होकर त्रिपोलिया बाजार, छोटे चौपाड़, गंगौरी बाज़ार, चौगान स्टेडियम से होते हुए आखिर में तालकटोरा तक पहुंचता है। इस सवारी को देखने काफी दूर - दूर से टूरिस्ट आते है।
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल - जयपुर
24-28 जनवरी, 2019
इसे साहित्य कुंभ कहा जाता है। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के इस फेस्ट में देश-विदेश के साहित्यकार करंट विषयों पर चर्चा करते हैं।
यहां टूरिस्ट को राजस्थान फूड से लेकर संस्कृति तक के हर रंग देखने को मिलते है। इस साल साहित्य के इस उत्सव में 250 स्पीकर्स भाग लेंगे।
जयपुर में 4 दिन तक चलने वाले फेस्टिवल में लेखक और संगीतकार , फिल्म निर्देशक , हास्य कवि, अभिनेत्री , अमेरिकी लेखक व स्टोरी राइटर कई महान हस्तियां शामिल होते है।
डेजर्ट फेस्टिवल - जैसलमेर
17-19 जनवरी, 2019
डेजर्ट फेस्टिवल टूरिस्ट के लिए काफी आकर्षण का केंद्र है। टूरिस्ट यहां विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम- पगड़ी बांधने, ऊंट दौड़, टग ऑफ वॉर, पारंपरिक गेम, कुश्ती, और महिलाएं दीवार पर खूबसूरत पेंटिंग बनाती है जिसे सांसारिक प्रतियोगिता कहते है इस सब का आनंद ले सकते है। यह राजस्थान पर्यटन बोर्ड द्वारा आयोजित एक तीन दिवसीय त्योहार है।