हमारे देश में भगवान राम और माता सीता को देवता देवी देवता का स्वरूप माना जाता है। भगवान श्री राम और माता सीता सभी भारतवासियों के आराध्य हैं। ऐसे में दोनों का ही जीवन जैसा कि हम सभी जानते है कि रामायण में वर्णित है कि उनका जीवन बहुत ही कठिनाइयों से भरा हुआ था। लेकिन आज हम आपको यह बताने वाले है कि भगवान श्री राम और माता सीता के विवाह तो हुए लेकिन दोनों की उम्र में कितने का अंतर है यह किसी को नहीं पता है ऐसे में आज हम आपको बताने वाले है। निश्चित रुओ से भारत के तकरीबन सभी नागरिकों ने रामायण देखि या फिर पढ़ी होगी मगर उन सभी में से शायद ही किसी का ध्यान इस ओर गया होगा की माता सीता और प्रभु श्री राम की उम्र का कितना अंतर था, खैर आपको बता दे कि इसका जवाब रामायण में ही वर्णित है। जी हां , रामाणय में एक दोहा है के अनुसार यह बताया गया है कि भगवान राम और माता सीता दोनो के बीच मे उम्र का कितना फासला था।

‘वर्ष अठारह की सिया, सत्ताइस के राम। कीन्हों मन अभिलाष तब, करनो है सुर काम॥’

आपकी जानकारी के लिए बता दें की यहाँ पर दिये गए इस दोहे का यह अर्थ है कि विवाह के दौरान 18 वर्ष की माता सीता और 27 के है राम। अर्थात भगवान श्री राम और माता सीता के बीच 9 साल का फर्क था लेकिन वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम अपनी पत्नी सीता से सात साल और एक महीने बड़े थे। बताते चलें की वाल्मीकि जी के अनुसार, भगवान श्री राम के जन्म के सात वर्ष तथा एक माह बाद मिथिला में सीता जी का प्रकट हुई थी और इस तरह से उनके बीच के उम्र का अंतर 9 वर्ष ना होकर 7 वर्ष 1 माह का ही था।

वैसे तो सभी महिलाओं के लिए माता सीता के जीवन चरित्र से सभी स्त्रियों को सिख मिलती है और उनके हमेशा सारी महिलाओं के मार्गदर्शक का कार्य करता है। हालांकि आपकी जानकारी के लिए यह भी बताते चलें की सिर्फ इतना ही नही भगवान श्री राम को प्रसन्न करने के लिए भी माता सीता ने जानकी व्रत भी किया जाता है। वैष्णव धर्म के अनुसार, फाल्गुण कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के दिन जानकी नवमी व्रत किया जाता है। यह व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि तिथि पर रखा जाता है।

आपकी जानकरी के लिए बता दें की माता सीता को आद्यशक्ति, सर्वमंगलदायिनी, वरदायनी का स्वरूप भी माना जाता है। यदि कोई महिला जानकी व्रत रखती है, तो इससे उसकी पति की आयु लंबी और संतान भी चिरायु होता है। इसी कारण से कई महिलाएं यह व्रत रखती है। जानकी नवमी व्रत सौभाग्यवती स्त्रियां अपने वैवाहिक जीवन की सुख-शान्ति बनाये रखने के लिए रखती है। इस व्रत को जब माता सीता ने रखा था तो भगवान श्रीराम भी प्रसन्न हो गये थे और इस व्रत को रखने वाली स्त्रियों पर भी और उनके पतियों पर भी उनकी कृपा बनी रहती है।

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