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सोमवार के दिन पड़ने वाली सोमवती अमावस्या अत्यधिक शुभ मानी जाती है। इस दिन, कुछ अनुष्ठान करने से बाधाओं को कम करने और प्रयासों में सफलता सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है। सोमवती अमावस्या से जुड़ी कुछ प्रथाएँ नीचे दी गई हैं:

दूध, दही और शहद से अभिषेक: सोमवती अमावस्या के दिन कच्चे दूध, दही और शहद के मिश्रण से भगवान शिव का अभिषेक करें। बाद में घी का दीपक जलाने से बाधाओं को दूर करने और लंबित कार्यों को पूरा करने में मदद मिल सकती है।

सोमवती अमावस्या के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। पेड़ के नीचे बैठें, तेल का दीपक जलाएं और पितृ सूक्त (पूर्वजों के लिए भजन) का पाठ करें। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और दरिद्रता दूर होती है।

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सोमवती अमावस्या पर सूर्यास्त के बाद तालाबों या नदियों में गेहूं के आटे से बने दीपक प्रवाहित करें। यह अनुष्ठान अमावस्या के दौरान पृथ्वी पर आने के बाद दिवंगत आत्माओं को उनके लोक में वापस लाने के लिए किया जाता है।

सोमवती अमावस्या के दिन हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। ऐसा माना जाता है कि इस अभ्यास से शत्रुओं का नाश होता है और शनि के प्रभाव से राहत मिलती है।

अमावस्या की शाम को घर के ईशान कोण (उत्तर और पूर्व दिशा के बीच) में दीपक रखना शुभ माना जाता है। इससे पितरों और देवी लक्ष्मी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।

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अमावस्या की शाम को दीपक में लाल धागे के साथ केसर का प्रयोग करें। इसके बाद देवी लक्ष्मी को घर में आमंत्रित करने के लिए श्री सूक्तम स्तोत्र का पाठ करें।

माना जाता है कि सोमवती अमावस्या पर इन अनुष्ठानों का पालन करने से समृद्धि, सफलता और पूर्वजों और देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।

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