शोध में पाया गया है कि कोरोना संक्रमण रोगियों में मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को प्रभावित करता है। लैंसेट साइकियाट्रिक जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोनरी हृदय रोग से मुक्त होने वाले पांच में से एक मरीज (20 प्रतिशत) तीन महीने से मानसिक बीमारी से पीड़ित है।

लैंसेट साइकियाट्रिक जर्नल ने संयुक्त राज्य अमेरिका में 69,000 कोरोनरी हृदय रोग रोगियों पर शोध किया। अनुसंधान इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का भी विश्लेषण करता है। शोध से पता चला है कि कोरोनरी हृदय रोग के 20 प्रतिशत मरीज चिंता, अवसाद या अनिद्रा से पीड़ित हैं। डिमेंशिया, दिमागी कमजोरी आदि जैसी समस्याएं भी पाई गई हैं। इसलिए वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोनरी हृदय रोग के लिए एक नया उपचार खोजने की आवश्यकता है।

यह मान लेना एक गलती है कि कोरोनरी हृदय रोग एक इलाज है। क्योंकि इसका मानव स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। लेखक पॉल हैरिसन के अनुसार, कोरोनरी धमनी रोग के रोगियों में चिंता और अवसाद के दो प्रमुख कारण हैं। उनमें से एक यह है कि वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली के माध्यम से मानव मस्तिष्क को सीधे नुकसान पहुंचा सकता है। दूसरा कारण यह है कि कोरोना सिंड्रोम होने का अनुभव और पोस्ट कोविद सिंड्रोम का डर लोगों को चिंतित कर सकता है।

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