कोरोना की दूसरी लहर बहुत खतरनाक हैं। रोज़ाना देश में लाखों की संख्या में लोग इस से संक्रमित हो रहे हैं। सब लोग का बस यही एक सवाल हैं की आखिर ये बीमारी कब ख़तम होंगी। ऐसे में इस बीमारी से लड़ने की लिए डॉक्टरोंने द्वारा लिखी गई एक दवाई हैं जिसका नाम 'रेमडेसिविर' हैं। रेमडेसिविर का इस्तेमाल कोविड-19 के मरीजों के इलाज में किया जा रहा है। इस दवाई का उपयोग कोविड-19 के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए किया जाता है, जिसकी मंजूरी देश के सबसे बड़े ड्रग रेगुलेटर ने आपात स्थिति में पिछले साल जून में दी थी। परिणामों से पता चला है कि जिन रोगियों को यह दावा दी गई उनके ठीक होने की दर 31% अधिक थी।

रेमडेसिविर क्या हैं?

कोरोना वायरस आरएनए वाला वायरस है। इस दवाई का उपयोग कोरोना वायरस परिवार के दो रोगों मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एमईआरएस) और सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एसएआरएस) के उपचार के लिए किया जाने लगा। किसी भी वायरस के आनुवंशिक सामग्री (जेनेटिर मटेरियल) में डीएनए या आरएनए मौजूद रहता है। ये दवा इसी एंजाइम पर हमला करके वायरस के रास्ते में एक तरह का रोड़ा बनती है.

भारत में कौन हैं इसका मैन्युफैक्चरर?
चार भारतीय कंपनियों ने इसे बनाने का एग्रीमेंट किया, वो कंपनियां हैं-सिप्ला, हेटेरो लैब्स, जुबलिएंट लाइफसाइंसेस और मिलान. ये चारों कंपनियां बड़े पैमाने पर उसे बनाती हैं और दुनिया के तकरीबन 126 देशों को इसका निर्यात करती हैं.

भारत में रेमडेसिविर की कीमत

भारतीय बाज़ारों में इसकी कीमत फिलहाल के लिए 899 रुपये रखी गई हैं। पहले के मुकाबले जब ये दवाई 3 हज़ार से ज्यादा की मिलती थी अब केंद्र ने रेमडेसिविर की कीमतों में लगभग 2,000 रुपये की कटौती की है।

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