लाइफस्टाइल डेस्क। रमजान का पाक महीना चल रहा है। इस महीने में मुस्लिम लोग अल्लाह की इबादत करते है। मुस्लिम समाज के लोग इस महीने कुरान की तिलावट, नमाज और तरावीह पढ़ते है। रमजान के महीने में 30 रोजे होते है। इस महीने में तीन अशरे होते है। प्रत्येक अशरे 10 रोजों का होता है। अब रमजान का तीसरा अशरे चल रहा है। इस अशरे में 27वीं शब को शब—ए—कद्र के रूप में मानया जाता है। इस मुकद्दस रात को कुरआन भी मुकम्मल हुआ।

शबे कद्र की रात को मुस्लिम रात भर इबादत करते है। इसके साथ ही वे अपने रिश्तेदारों और करीबियों की कब्रों पर सुबह फातिहा पढ़कर उनकी मगफिरत की दुआ भी करते है। इस रात को गुनाह बक्श दिए जाते है। इसके साथ ही जहन्नम की आग से निजात मिलती है।

वैसे तो पूरे माहे रमजान में बरकतों और रहमतों की बारिश होती है। ये अल्लाह की रहमत का ही सिला है कि रमजान में एक नेकी के बदले 70 नेकियां नामे-आमाल में जुड़ जाती हैं, लेकिन शब-ए-कद्र की विशेष रात में इबादत, तिलावत और दुआएं कुबूल व मकबूल होती हैं। इस रात खुदा ताअला नेक व जायज तमन्नाओं को पूरी फरमाता है।

दरअसल, इस रात को मस्जिदों में रोशनी भी की जाती है। क्योंकि इस रात को मस्जिदों में तरावीह की कुरान शरीफ पूरी होती है। इस रात को मुसलमान मस्जिदों में कयाम, जिकर—ए—ईलाही, कुरान की तिलावत,दरूद—ओ—सलाम और दुआ पढ़ते है, और अल्लाह से माफी मांगते है साथ ही मगफीरत की तलब करते है।

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