रामायण ही नहीं महाभारत में भी मौजूद थे ये 6 लोग, निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका
हिंदू धर्मशास्त्रों के मुताबिक, त्रेतायुग में रामायण तथा द्वापरयुग में महाभारत युद्ध की घटना घटित हुई थी। विषय-वस्तु अथवा स्थान एक जैसे हो सकते हैं, लेकिन हजारों वर्षों बाद इन दोनों युगों में एक ही व्यक्ति का मौजूद होना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इन सभी किरदारों ने दोनों ही त्रेता तथा द्वापर युग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
1- हनुमान जी
प्रभु श्रीराम के परम भक्त महाबली हनुमान जी के बारे में सभी जानते हैं। बता दें हनुमान जी ना केवल रामायण बल्कि महाभारत में भी मौजूद रहे। महाभारत के युद्ध में जहां वह अर्जुन के रथ पर सवार रहे, वहीं वनवास के दौरान महावीर भीम का गर्व चूर किया। हनुमान जी ने भीम को अपने वास्तविक स्वरूप का दर्शन कराया था।
2- जामवंत
त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की ओर से जामवंत ने भी युद्ध लड़ा था। रामसेतु निर्माण में भी जामवंत ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। वहीं महाभारत काल में भी जामवंत और श्रीकृष्ण के बीच भंयकर युद्ध का वर्णन मिलता है। युद्ध में जामवंत को पराजित करने के बाद श्रीकृष्ण ने उनकी पुत्री जामवंती से विवाह किया था।
3- महर्षि दुर्वासा
महर्षि दुर्वासा का रामायण में कई बार उल्लेख मिलता है। कभी राजा दशरथ से जुड़ी भविष्यवाणी तथा कभी श्रीराम और लक्ष्मण की परीक्षा लेते हुए। महाभारत में भी कुंती को वरदान देने तथा द्रौपदी से मुलाकात का वर्णन मिलता है। महाभारत में दुर्वासा और श्रीकृष्ण वार्तालाप का भी किस्सा मौजूद है।
4- वायु देवता
सतयुग में जब बजरंगबली के माता-पिता ने पुत्र प्राप्ति के लिए कामना की तब वायुदेव की कृपा से हनुमान जी का जन्म हुआ। हनुमान जी का एक नाम पवनपुत्र भी है। महाभारत में कुंती के मंत्रोच्चारण पर वायुदेव ने उन्हें दर्शन देकर भीम रूप में एक पुत्र दिया था।
5- मय दानव
रावण का ससुर मय दानव एक महान शिल्पीकार और वास्तुशास्त्री था। रामायण में कई बार उनके होने की बात कही गई। हनुमान जी द्वारा लंका दहन के बाद मय दानव ने बड़ी शीघ्रता से इस रहस्यमयी महल का निर्माण कर दिया था। वहीं महाभारत में मय दानव ने पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ का निर्माण किया था।
6- परशुराम
रामायण में प्रभु श्रीराम ने सीता स्वयंवर के समय शिव धनुष तोड़ा था, उस समय परशुराम जी वहां आए थे। महाभारत काल में परशुराम ने भीष्म को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दी थी। इतना ही नहीं कर्ण को भी शस्त्र विद्या दी थी। इसीलिए कर्ण महारथी भीष्म को गुरू भाई भी कहता था। महाभारत में भीष्म और परशुराम के बीच युद्ध का भी वर्णन मिलता है।