दोस्तों, आपको बता दें कि पाकिस्तान बॉर्डर से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर राजस्थान के गंगानगर जिले की ज़मीन पर लैला और मजनू ने अपनी आखिरी सांसें ली थी। आज उसी जगह पर इन दोनों की मजार है। इतना ही नहीं भारत-पाकिस्तान सीमा पर उनके सम्मान में बीएसएफ की एक पोस्ट का नाम मजनू पोस्ट है। कारगिल युद्ध से पहले इस मजार पर आने के लिए पाकिस्तान से भी रास्ता खुला था, लेकिन बाद में आतंकी घुसपैठ के चलते इसे बंद कर दिया गया।

बता दें कि लैला-मजनू की इस मजार पर प्रेमी जोड़ों तथा नव विवाहितों का हुजूम उमड़ता है। दरअसल यह सभी अपने प्यार की सलामती के लिए दुआ मांगने इस मजार पर आते हैं। नव विवाहित जोड़े अपने सफल वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं। यह मजार आज भी आशिकों को अपने प्यार के लिए मर-मिटने का पैगाम देती है। इस मजार पर आने वालों में हिंदू, मुस्लिम के अलावा सिख और ईसाई धर्म के लोग भी शामिल हैं। मान्यता है कि यह मजार सच्चा प्यार करने वालों के लिए बेहद खास है।

आइए जानें, लैला-मजनू की अमर प्रेम कहानी

सिंध में एक अमीर कारोबारी शाह अमारी के बेटे मजनू कोे लैला नामक एक लड़की से प्यार हो गया। कहते हैं कि लैला को मजून से अलग करने के लिए लैला की शादी करवा दी गई। अब लैला के गम में मजनू प्यार में पागल हो गया। इसी पागलपन में मजनू ने कई कविताएं लिख डाली। कुछ दिनों बाद लैला अपने पति के साथ ईरान चली गई। जहां बीमार रहने के चलते कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई थी।

एक दूसरी कहानी यह प्रचलित है कि जब लैला के भाई को इनके बीच प्यार का पता चला तो उसने बेरहमी से मजनू की हत्या कर दी थी। इसके बाद जब यह बात लैला को पता चली तो वह मजनू के शव पास पहुंची और अपनी जान दे दी। कुछ लोगों का यह मानना है कि घर से दर-दर भटकते हुए लैला और मजून राजस्थान के गंगानगर जिले में इसी जगह पर पहुंचे थे, जहां प्यास के मारे में इनकी मौत हो गई।

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