प्रयागराज के कुंभ मेले में इन दिनों देश-दुनिया के कई रहस्यमयी बाबाओं का जमघट लगा हुआ है। अपनी चमत्कारिक शक्तियों तथा गजब की वेशभूषा से पहचाने जाने वाले अनेकों बाबा तीर्थराज प्रयाग में आकर्षण के केंद्र बने हुए है। इन्हीं में से एक नाम है चाबी वाले बाबा। जी हां, यह अपने साथ लोहे की 20 किलो की चाबी लेकर साथ-साथ घूमते हैं। इस बाबा के गले में, कमर पर या शरीर पर हमेशा लोहे की चाबी मौजूद रहती है। वैसे तो यह चाबी वाले बाबा पूरे देश में भ्रमण करते हैं, लेकिन इन दिनों यह कुंभ में मौजूद हैं।

जी हां, यूपी के रायबरेली जिले में जन्में इस चाबी वाले बाबा का असली नाम हरिश्चंद्र विश्वकर्मा है। बचपन से ही अध्यात्म में रूचि थी, लेकिन घरवालों के डर से पढ़ाई करते रहे। लेकिन उम्र के साथ ही इनके मन में कबीरपंथी विचारधारा तेजी से पनपी। चाबी वाले बाबा को कबीर का अंशावतार कहा जाता है। समाज में व्याप्त बुराईयों और नफरत से लड़ने के लिए चाबी वाले बाबा ने 16 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था।

कुछ ही दिनों चाबी वाले बाबा को कुछ लोग कबीरा बाबा कहने लगे। उनके पास मौजूद लोहे की चाबी ही उनके आध्यात्मिक ज्ञान का मूल बन गई। चाबी वाले बाबा के असंख्य भक्त है। वह लोगों के मन में बसे अहंकार का ताला इसी चाबी से खोलते हैं। अपनी चाभी को दिखाते हुए वह कहते हैं कि इस चाभी में आध्यात्म और जीवन का राज छिपा है। चाबी वाले बाबा स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानते हैं।

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