आलू नहीं मीट के होते थे समोसे, जानिए भारत में कैसे आए समोसे!
आज की तारीख में समोसा हमारे देश का सबसे पसंसदीदा स्नैक्स है। लेकिन आपको जानकर यह हैरानी होगी कि समोसा दुनिया का एक बहुत बड़ा चक्कर लगाकर भारत तक आया था।
कहा जाता है कि 10वीं सदी में जब मध्य पूर्व देश विकसित हो रहे थे, तो उस दौरान समोसे की खोज की गई। हांलाकि यह कब बना और किसने इसकी शुरुआत की इसका कोई पक्का प्रमाण मौजूद नहीं है। कहते हैं कि ईरान के पास के किसी इलाके में इसकी खोज की गई थी।
आज की तारीख में समोसे को तेल में तला जाता है, मगर उन दिनों समोसे को आग पर पकाया जाता था। इस समोसे ने ही 10वीं से 12वीं सदी में यात्रियों को लंबे-लंबे सफर करने में मदद की थी। कई फारसी किताबों में भी इसका उल्लेख मिलता हैै। फारसी किताबों में समोसा 'संबोसग' नाम से जाना जाता था। इन समोसों को अपने एक छोटे से थैले में लेकर यात्री मध्य पूर्व से भी काफी दूर-दूर तक चले गए थे।
मध्य पूर्व के रेगिस्तान से निकलकर अफ्रीका और एशिया तक पहुँचने में इस व्यंजन को बहुत ज्यादा समय नहीं लगा। जो भी इसे खाता था, इसका दीवाना हो जाता था, यही वजह है कि इसे लोगों ने बड़ी तेजी से अपनाना शुरू किया।
13वीं और 14वीं शताब्दी में जब दिल्ली पर मुहम्मद बिन तुग़लक़ का राज था। चूंकि मुहम्मद बिन तुग़लक़ कई प्रकार के व्यंजन खाया करता था, इसलिए इस सुल्तान के लिए कई देशों से खानसामे भी आया करते थे। ऐसे ही कुछ खानसामे उस समय दिल्ली सल्तनत में खाना बनाने के लिए आए थे। माना जाता है कि यहीं से समोसे का भारत में आगमन हुआ था।
मुहम्मद बिन तुग़लक़ के खानसामों ने जब सुल्तान के समक्ष समोसा परोसा तो पहले स्वाद में ही उन्हें समोसे से प्यार हो गया। इसके बाद तो देखते ही देखते समोसा शाही व्यंजनों में गिना जाने लगा। भारत में समोसा इतना लोकप्रिय हो गया कि यह धीरे-धीरे खास से आम हो गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि शुरूआती दिनों में समोसे में आलू की जगह मीट, घी और प्याज का इस्तेमाल किया जाता था। इसीलिए शाकाहारी लोग समोसे का मजा नहीं ले पाते थे। अमीर खुसरो ने भी इस समोसे के बारे में लिखा है, ताकि हर कोई इसके बारे में जान पाए। ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले यूपी में आलू वाला शाकाहारी समोसा बनाया गया। यहीं से समोसे को प्रसिद्धी मिली, और जल्द ही ये आम लोगों के बीच भी छा गया।