आज कल का टाइम पहले के समय से थोड़ा नही बल्कि बिल्कुल ही बदल गया है। पहले भी बच्चें गलती करते थे लेकिन उनके अंदर पेरेंट्स का एक डर या रिस्पेक्ट हुआ करती थी। लेकिन आज के समय मे खुद पेरेंट्स ही जिम्मेदार है अपने बच्चों को बिगाड़ने में।

छोटी-छोटी बातें ही इंसान को बड़ा बनाती है। अगर हमें किसी फल से लदे वृक्ष की चाहत है तो उस वृक्ष को सही खाद, पानी, और सरंक्षण देना होगा। लेकिन आज के माता- पिता अपने व्यस्त समय के चलते अपने बच्चों पर पूरा ध्यान नही देते। और उनकी जड़ों पर इन्वेस्ट करने की बजाय उनके पत्तों पर इन्वेस्टमेंट के लिए कमाने में बिजी हो जाते है। पत्ते जो कभी स्थाई नही होते।

साहिल दौड़ता हुआ अपनी माँ के पास आकर बोला, मम्मी घर चलो। राधा अपनी सहेली के साथ बातों में बिजी थी उसने कहा बस अभी चलते है। इतने पर बच्चे ने राधा पर थूक दिया । और राधा ने ये कहकर बात टाल दी। हहह......नॉटी बॉय।

रमन ने अपने बच्चे को कोल्ड ड्रिंक पिलाई और बोतल को वही फेंक दिया। किसी अन्य पुरुष के टोके जाने पर रमन ने ये कहकर उसे व्यक्ति को फटकारा की ज्यादा सफ़ाई करने का ही शौक है तो खुद कर लो।
बच्चें खेलते समय दुसरों को मारते या लड़ते भी है तो थोड़ी देर बाद ये आपस मे दोस्त भी बन जाते है। लेकिन कुछ बच्चें जब अपने पेरेंट्स से शिकायत करते है तो पेरेंट्स भी दूसरे बच्चें के पेरेंट्स से लड़ने पहुँच जाते है बजाय अपने बच्चें को समझाने के।

बच्चें माता- पिता के ऊपर सबके सामने हाथ उठा देते है। और पेरेंट्स भी "अभी बच्चा है" कहकर बात टाल जाते है।

क्या हम खुद ही अपने बच्चों को ऐसा बनाने में जिम्मेदार नही है? हमनें खुद ने ही अपने बच्चों को इस तरह गलत करने पर न समझाया न डांट लगाई। उन्हें पता ही नही चला की गलत क्या है सही क्या है।
ऐसे बच्चें न केवल माँ- बाप के लिए बल्कि समाज और देश के लिए भी परेशानी का कारण बनते है।

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