Parenting Tips: दूसरे बच्चे की प्लानिंग करते समय पेरेंट्स को ध्यान रखनी चाहिए ये जरूरी बातें, शिल्पा शेट्टी ने बताया अपना अनुभव
बच्चा पहला हो या दूसरा, उसे प्लान करते समय पेरेंट्स को कई अहम बातों का ध्यान रखना पड़ता है। जरा सी लापरवाही, आपके बच्चे को आपसे दूर कर सकती है। हाल ही में दूसरी बार मां बनी बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी ने भी अपने दूसरे बच्चे की प्लानिंग को खुद के लिए काफी चुनौतीपूर्ण बताया था। शिल्पा का कहना था कि बेटी समिशा के जन्म के बाद उनके लिए अपने बेटे वियान को यह महसूस करवाना बेहद चुनौतीपूर्ण था कि वह अकेला नहीं है और राज और मैं उसे भी समिशा जितना ही बराबर प्यार करते हैं।
दूसरे बच्चे की प्लानिंग करते समय ध्यान रखें ये बातें-
-दूसरे बच्चे की प्लानिंग करते समय सबसे पहले अपने बड़े बच्चे की उम्र को जरूर ध्यान में रखें। पहले बच्चे के पैदा होते ही तुरंत दूसरा बच्चा पैदा करना दोनों की परवरिश में खलल डाल सकता है।
-दूसरा बच्चा प्लान करने से पहले अपने बड़े बच्चे को कम से कम टॉयलेट ट्रेनिंग जरूर दे दें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा अपनी छोटी-मोटी जरूरतें खुद ही पूरा कर सकता है या नहीं।
-हमेशा दूसरा बच्चा अपने पहले बच्चे के 3-4 साल बाद प्लान करें। आपका बच्चा प्लान चाइल्ड होना चाहिए। ऐसा होने पर पैरेंट्स बड़े बच्चे को पूरा अटेंशन दे पाते हैं और छोटे बच्चे की परवरिश भी आसानी से हो जाती है।
कैसे करें समझदार पेरेंटिंग-
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स की सीनियर मनोवैज्ञानिक और हैप्पीनेस स्टूडियो की संस्थापक डॉ भावना बर्मी बताती हैं कि दूसरा बच्चा प्लान करते समय अगर माता-पिता कुछ अहम बातों का ध्यान रख लें तो पेरेंटिंग की राह उनके लिए थोड़ी आसान हो सकती है। आइए जानते हैं दूसरा बच्चा प्लान करने वाले हर माता-पिता के लिए क्या है डॉक्टर भावना की एक्सपर्ट एडवाइस।
- दूसरी बार बच्चा प्लान करने को लेकर डॉक्टर भावना का कहना है कि महिलाएं पहली या दूसरी बार बच्चा तभी प्लान करें जब वो शारीरिक रूप से खुद को फिट समझती हों, तभी बच्चे को जन्म देने का फैसला आपका अच्छा हो सकता है।
- आपका दूसरा बच्चा भी पहली की ही तरह एक प्लान बेबी होना चाहिए। ताकि आप इस बात को अच्छी तरह सुनिश्चित कर सकें कि दूसरा बच्चा पैदा होने पर आप अपने पहले बच्चे के लिए कौन सा और कितना वक्त निकाल पाएंगे।
- दूसरा बच्चा प्लान करते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कहीं आपसे अपने पहले बच्चे की अनदेखी तो नहीं हो रही। इससे बचने के लिए आप अपने पहले बच्चे को होने वाले बच्चे के साथ इन्वाल्व करने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए बच्चे से ही पूछें कि होने वाले बच्चे का बेड कैसा होना चाहिए।
-बच्चे से बात करते समय हमेशा पॉजिटिव शब्दों का चयन करके उसे भी स्पेशल फील करवाएं। डॉक्टर भावना उदाहरण देते हुए बताती हैं कि ऐसा करते समय आप अपने बच्चे से कह सकती हैं कि होने वाला बच्चा भले ही उन्हें प्यारा हो लेकिन आपका पहला बच्चा आपके लिए बेहद खास या प्रेशियस है।
- प्रेगनेंसी के दौरान ही बच्चे को दिमागी रूप से आने वाले बच्चे के लिए भी तैयार करें। इसके लिए आप उसे बार-बार यह अहसास करवाएं कि आने वाला बच्चा उसका भी छोटा भाई या बहन है। ऐसा करते समय पैरेंट्स बड़े बच्चे को भी पूरा अटेंशन दें। अगर आप इन सब बातों का ध्यान रखते हैं तो बड़े बच्चे के मन में कभी भी घर में असुरक्षित होने या नजरंदाज किए जाने की भावना विकसित नहीं होगी।