इंटरनेट डेस्क: हिन्दू धर्म में हर दिन का धार्मिक महत्व भी होता है जिस तरह सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधन की जाती है तो उसी तरह मंगलवार और शनिवार के दिन भक्त भगवान हनुमान को प्रसन्न करने के लिए पूजा अर्चना करते है ऐसे में आज का दिन भी बहुत महत्व होता है आज गुरुवार है जो देव गुरू बृहस्पति का दिन भी माना जाता है, इस दिन अगर पूरे विधि.विधान से देवगुरू बृहस्पति की पूजा अर्चना की जाती है जिससे वह प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। अगर आप भी इस दिन व्रत रखते हैं तो इसके लिए आप एक खास मंत्र का जाप करने से देव गुरू बृहस्पति जल्दी ही प्रसन्न होंगे और आप पर कृपा बनाए रखेंगे आइए जानते हैं


आज के दिन आप सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात पूजा अर्चना शुरू करनी चाहिए, सबसे पहले चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं अब गुरु बृहस्पति की मूर्ति या तस्वीर रखकर पूजा अर्चना की विधि शुरू करें आप भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाकर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। पूजा के सामान को आप एक जगह रखें जिसमें केसरिया चंदन, पीले चावल, पीले फूल और भोग के लिए पीले लड्डू या बर्फ ी का उपयोग करना चाहिए साथ ही गुरुवार की व्रत कथा का पाठ करें। इस दिन पीली चीजों का दान करें जैसे हल्दी, चने की दाल, आम, केला आदि। अगर आपने व्रत रखा है तो आप बिना नमक का खाना खाएं और कोशिश करें कि खाने में पीले रंग की चीजें जैसे आम, केले खाएं। पूजा के बाद अपने माथे पर केसर या हल्दी का पीला तिलक लगा लें


इसके बाद आप इस मंत्र का जाप करें जो 108 बार करना है माना जाता है कि इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को धन.संपदा की कमी नहीं होती है। ये है वो मंत्र- ऊँ बृं बृहस्पते नमः
इसके अलावा भी गुरू पूजा के कुछ और मंत्र हैं, जिनका जाप करना शुभ और लाभकारी माना जाता है वो है- ऊॅॅँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः

मंत्र :-

ऊॅॅँ बृं बृहस्पये नमः
ॐ बृं बृहस्पतये नमः।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।
ॐ नमोः नारायणाय।
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय नमः।
ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर।
भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
ॐ भूरिदा त्यसि श्रुतः पुरूत्रा शूर वृत्रहन्।
आ नो भजस्व राधसि।

विशेष मंत्र :-

ॐ देवानां च ऋषीणां गुरुं कांचनसन्निभम।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।

बृहस्पति की शांति के लिए वैदिक मंत्र :-

ऊॅँ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्बिभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।

बृहस्पति की शांति के लिए पौराणिक मंत्र :-

देवानां च ऋषीणां च गुरुं कांचनसंनिभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकशं तं नमामि बहस्पतिम्।।

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