चांद पर सबसे पहला कदम अमेरिकी एस्ट्रोनॉट नील आर्मस्ट्रांग ने रखा था। ये बात हम जानते हैं कि नील आर्मस्ट्रांग ने पहला कदम 21 जुलाई, 1969 को चांद पर रखा और 2.5 घंटे की स्‍पेस वॉक की थी। आर्मस्ट्रांग अपोलो 11 अंतरिक्षयान में सवार हुए थे जो 20 जुलाई 1969 को चंद्रमा पर उतरा था। कहा जाता है कि उनके कदमों के निशान आज भी चांद पर हैं।

चांद के निर्माण के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि 450 करोड़ वर्ष पहले एक उल्कापिंड धरती से टकराया, जिससे इसका कुछ हिस्सा टूट कर अलग हो गया और वही चांद बना। चांद पर जीवन नहीं है।वहां की सतह पथरीली और बेहद उबड़-खाबड़ है। इतना ही नहीं चांद पर ग्रेविटेशनल फ़ोर्स भी नहीं है।

अमेरिका की एरिजोना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मार्क रॉबिन्सन के अनुसार चंद्रमा की सतह चट्टानों और धूल की परत से ढकी है। इसलिए चंद्रमा की सतह से किसी के पैरों के निशान हट नहीं सकते। चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं होने के कारण वहां पर उतरे अंतरिक्षयात्रियों के पैरों के निशान लाखों सालों बाद भी वैसे ही रहेंगे।

इसके रोशनी वाले हिस्से का तापमान 180 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, वहीं अंधेरे हिस्से का तापमान -153 डिग्री सेल्सियस हो जाता है।

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