एक तरफ कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले ज्यादातर राज्यों में मिल रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय स्तर पर इन मरीजों की संख्या के बारे में केंद्र सरकार के पास जानकारी नहीं है। इतना ही नहीं ब्लैक फंगस के मामले पिछले साल से कोरोना मरीजों में देखने को मिल रहे हैं। बावजूद इसके संक्रमण को रोकने वाली एंटी फंगल दवा की उपलब्धता पर ध्यान नहीं दिया।


विशेषज्ञों का कहना है कि दवा के साथ-साथ लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास भी नहीं किया गया और अब दूसरी लहर में यह अचानक से बढ़े तो सरकार भी सचेत हुई है।

मौजूदा स्थिति यह है कि देश के ज्यादातर राज्यों में ब्लैक फंगस को रोकने वाला एंटी फंगल इंजेक्शन अम्फोटेरीसीन बी बाजार से गायब हो चुका है। इसकी कालाबाजारी भी काफी तेजी से बढ़ गई है। वहीं समय पर दवा न मिलने की वजह से मरीजों को ऑपरेशन कराने की नौबत आ रही है। सही इलाज नहीं होने पर लोगो जा रही है।

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