आज तक अपने मंदिरो में शुद्ध शाकाहारी भोजन बनते हुए सुना होगा और देखा भी होगा। लेकिन क्या कभी अपने ये सूना है कि प्रसाद के तौर पर आपको मंदिर में बिरयानी मिल जाए........ जी हाँ। यह बिल्कुल सच है। हमारे देश दक्षिण भारत में एक ऐसा मंदिर भी है। जहां पर प्रसाद के तौर पर मटन बिरयानी मिलती है। इसके साथ ही इस मंदिर में हज़ारों की संख्या में लोग बिरयानी खाने भी आते है।
दरसअल तमिलनाडु के मदुरै के वड़क्कमपट्टी गांव में साल 1937 से एक मंदिर है। जहां प्रसाद के तौर पर लोगों को बिरयानी खिलाई जाती है।


गुरुसामी नायडू नाम के एक व्यक्ति ने इस गांव के स्थानिय देवता मुनियांदी के नाम पर अपना एक होटल बनाया है। जिसमे नॉन वेज बिरयानी की कई वेरायटी मिलती है। मुनियांदी नाम से बनी इस होटल में हजार की संख्या में लोग खाना खाने आते है। इस गांव में फिर एक के बाद बाकी लोगों ने भी ठीक इसी नाम से होटल खोल लिए है।

ये होटल अपने ग्राहकों को स्वादिष्ट नॉन वेज बिरयानी खिलाने के लिए जाने जाते है। खास बात यह है कि दक्षिण भारत में 1500 से ज़्यादा आज मुनियांदी होटल बने हुए है। इसके आलावा यहां हर साल मुनियांदी फेस्टिवल भी मनाया जाता है। जिसमे हर साल लाखों की संख्या में लोग यहां आते है। उन्हें प्रसाद में मटन बिरयानी बांटी जाती है।

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