बंदर ने कर्ज में डूबे दंपत्ति की बदल दी किस्मत, बना दिया करोड़पति, मौत के बाद लगवाई गई मंदिर में मूर्ति
इंटरनेट पर कुछ चीजें ऐसी होती हैं जिनसे लोगों का मनोरंजन होता है परंतु कुछ खबरें ऐसी भी होती हैं, जो हर किसी को भावुक कर देती हैं। कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर एक मुस्लिम महिला और चुनमुन नाम के बंदर की अनोखी कहानी काफी तेजी से वायरल हो रही है।
जानकारी के अनुसार, उसकी कोई भी संतान नहीं थी, जिसके चलते वह बहुत ज्यादा चिंतित रहा करती थी। तभी उसे एक बंदर मिल गया जिसने उसकी किस्मत ही बदल दी।
मेहमान बनकर घर में आया था बंदर
यह मामला उत्तर प्रदेश के रायबरेली से सामने आया है। यहां पर शक्ति नगर मोहल्ले में एक दंपति कवयित्री सबिस्ता और उनके पति एडवोकेट बृजेश श्रीवास्तव रहते हैं। दोनों की शादी के कई साल बीत चुके थे लेकिन फिर भी उनकी कोई संतान नहीं थी।
ऐसे में साल 2005 में एक मदारी एक बंदर को लेकर जा रहा था। तब सबिस्ता ने उस मदारी से बंदर को खरीद लिया था और उसका नाम चुनमुन रखा। उसे वह अपने बच्चे के समान मानने लगी। सबिस्ता और बृजेश श्रीवास्तव कर्ज में डूबे हुए थे। उनके सिर पर 13 लाख रुपए का कर्जा था लेकिन जैसे ही उनके घर में चार महीने के चुनमुन के कदम पड़े तो उनकी आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आने लगता है। सबिस्ता को कवि सम्मेलनों में बुलाया जाने लगा। इतना ही नहीं बल्कि उनकी किताबें भी बाजार में आ गईं। कवि सम्मेलनों के संचालन से उनकी आमदनी भी अच्छी खासी होने लग गई।
2010 में बंदर की करवाई शादी
दंपति का कोई भी बच्चा नहीं था इसलिए वो चुनमुन को ही सब मानने लगे। उन्होंने दंपति ने साल 2010 में शहर के पास ही छजलापुर रहने वाले अशोक यादव की बंदरिया बिट्टी यादव से उसकी शादी करवाई। इसके बाद उन्होंने चुनमुन के नाम से ट्रस्ट बनाकर पशु सेवा शुरू की।
बंदर का घर में बनाया मंदिर
चुनमुन की मृत्यु 14 नवंबर 2017 को हो गई थी, जिसके बाद सबिस्ता ने पूरे विधि विधान पूर्वक उसका अंतिम संस्कार कराया और तेरहवीं की। चुनमुन की मृत्यु के बाद सबिस्ता ने उसकी याद में घर के अंदर ही उसका एक मंदिर बनवाया। मंदिर में श्री राम लक्ष्मण और सीता माता के साथ चुनमुन की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
जब चुनमुन इस दुनिया को छोड़ कर चला गया तो उसकी पत्नी बिट्टी अकेली पड़ गई थी, तो सबिस्ता उसके लिए 2018 में लंपट को ले आई और फिर दोनों ही साथ रहने लग गए। परंतु बिट्टी की भी मृत्यु 31 अक्टूबर 2021 को हो गई थी। अब सिर्फ लंपट ही पूरे घर में धमाचौकड़ी जाता रहता है।
पशु सेवा के लिए मकान बेचने का लिया निर्णय
सबिस्ता का बताना है कि चुनमुन के आने से घर का माहौल ही बदल गया था। सबिस्ता ने कहा कि जब चुनमुन उनके घर में आया तो उसके बाद से ही उन्हें बंदरों से बहुत प्रेम हो गया। वह उन्हें भगवान हनुमान जी की तरह पूजती हैं।