आयुष मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी देते हुए बताया की कोरोना के बिना लक्षण वाले, कम लक्षण वाले और औसत लक्षण वालों के लिए मलेरिया के इलाज के लिए 1980 में बनाई गई दवा आयुष-64 को कारगर पाया गया है। आयुष-64 (Ayush 64) एक आयुर्वेदिक दवा है जिसे 1980 में मलेरिया के इलाज के लिए तैयार किया गया था। अब इसे कोरोना के लिए परखा जा रहा है।

आयुष मंत्रालय के चीफ ने बताया कि स्टैंडर्ड ऑफ केयर (एसओसी) यानी मानक इलाज के साथ सहयोगी के रूप में आयुष-64 के इस्तेमाल से काफी सुधार दिखा। अकेले एसओसी की तुलना में इस दवा के इस्तेमाल से मरीजों को अस्पताल में कम दिन भर्ती रहने की जरूरत पड़ी।

दवा के परीक्षण से इस बात के पर्याप्त प्रमाण मिले हैं कि इसका इस्तेमाल कोरोना के कम से सामान्य मामलों तक में एसओसी के साथ किया जा सकता है। हालांकि गंभीर मरीजों और आक्सीजन की जरूरत वाले मरीजों पर अभी इसके असर को लेकर परीक्षण की जरूरत है।

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