दुनिया में ऐसी कई चीज़े है जिनका रहस्य कभी खुला नहीं है। आज भी ऐसी कई चमत्कारी चीजें है, जिनके बारे में पूरी जानकारी पाना बहुत मुश्किल ही नहीं असंभव है। इनमे सबसे खास है, हमारे देश के मंदिर और इनसे जुड़े चमत्कार जो बेहद ही अद्भुत है। इनके चमत्कार के पीछे की वजह जान पाना नामुमकिन है। आज हम एक ऐसे ही एक मंदिर के बारे में जानकारी बताने जा रहें है ,
मध्य प्रदेश में एक ऐसा मंदिर भी मौजूद है जहां पर मां दुर्गा के गले के हार की पूजा की जाती है। यहां मैहर में पहाड़ों के बीच मौजूद इस मंदिर में जाने के लिए1600 से भी ज़्यादा सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है।


यहां माना जाता है कि जब देवी शक्ति के जले हुए शरीर को अपने कंधे पर लेकर भगवान शिव यहां वहां घूम रहे थे , तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र के द्वारा देवी शक्ति के शरीर को कई टुकड़ों में बांट दिया था। तब देवी शक्ति का हार यहां आकर गिरा था। तभी से लेकर आज तक भी यहां उनके हार की पूजा की जाती रही है।
यहां सुबह जल्दी माता के मंदिर में दर्शन करना शुभ माना जाता है। माता का ये मंदिर सुबह 5:00 बजे खुलता है, लेकिन माता के दर्शनों के लिए लोग रात से ही यहां इकट्ठा होने लगते है।

नवरात्रि के समय मंदिर में लाखों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते है। मैहर की पहाड़ियों में होने के कारन इसे मैहर की देवी के नाम से जाना जाता है। मंदिर के पट रात के 10:00 बजे बंद हो जाते है। खास बात यह है कि मंदिर बंद करने से पहले पंडित जी देवी माँ पर चढ़ाए गए सभी फूलों को हटा देते है। लेकिन जब सुबह के समय मंदिर का पट खुलता है तो माता के चरणों में हमेशा गुलाब का एक ताजा फूल चढ़ा मिलता है , इस रहस्य का आज तक कोई पता नहीं चल पाया है।

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