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मकर संक्रांति नये साल का पहला प्रमुख त्योहार है। इस साल मकर संक्रांति दो विशेष योग में मनाई जाएगी। 15 जनवरी सोमवार को रवि और वरियान योग बन रहा है। वरियान योग 77 साल बाद आ रहा है। इस दुर्लभ योग में मकर संक्रांति का महत्व बढ़ गया है।

मकर संक्रांति को विभिन्न क्षेत्रों में अपने-अपने तरीके से बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन पतंग उत्सव की भी धूम रहती है। तिलगुड़ देकर एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया जाता है। घर पर मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। महिलाओं ने हल्दी-कुंकवा का कार्यक्रम रखा। सर्दियों का यह त्योहार हर किसी के चेहरे पर खुशी लाता है।

14 जनवरी को दोपहर 2:44 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। 15 जनवरी को सूर्योदय से रात्रि 11 बजे तक वरियान योग रहेगा। सुबह 7 बजे से दोपहर 15 बजे तक, सुबह 8 बजे से 7 बजे तक रवि योग रहेगा। इस योग में पूजा-पाठ और दान-पुण्य करने से अच्छी सेहत का आशीर्वाद मिलता है। बव करण दोपहर 3 बजकर 35 मिनट तक है उसके बाद बालव करण का प्रभाव रहेगा। ये दोनों ही शुभ माने गए हैं।

मकर संक्रांति के बाद शादियां हो जाएगी शुरू

धनुर्मास के बाद विवाह नहीं किया जाता है। विवाह के लिए शुभ समय का होना बहुत जरूरी है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे।

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विवाह के लिए उपयुक्त तिथियां

जनवरी- 17, 22, 27, 28, 30, 31

फरवरी- 1, 2, 4, 6, 12, 13, 17, 18, 24, 26, 27, 28, 29

मार्च- 3,4,6,16,17,26,27,30

मकर संक्रांति पर ये करें

यदि संभव हो तो गंगा स्नान करें या नहाने के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें।

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तांबे के लोटे में गंगा जल लें, उसमें लाल फूल, लाल चंदन, तिल डालें और 'ॐ घृणि सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं।

तिलगुड़, बाजरे की खिचड़ी खाएं।

काले तिल और ग्वारपाठे से बने व्यंजन, सर्दी के कपड़े, रजाई, खिचड़ी का दान करें। इससे सूर्य और शनि दोनों की कृपा बनी रहती है।

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