महाराजा भूपिंदर सिंह पटिलाया का महाराजा था। तब देश आजाद भी नहीं हुआ था और इस राजा की भारत में 720 रियासते थी। इस राजा के शौक बड़े ही रंगीन थे।

इस राजा की 365 रानियां थी। जिन्हे संतुष्ट करने के लिए उसने एक अलग ही नियम बना रखा था। लेकिन उस बारे में जानने से पहले इसके शाही शौक के बारे में जानिए। अपनी रईसियत को दिखाने के लिए वह 17 करोड़ के डिनर सेट में खाना खता था और 2,930 डायमंड्स से जड़ा हुआ हार पहना करते थे, जिसकी कीमत आज 25 मिलियन डॉलर (166 करोड़) है

बेहद आकर्षक था महल

महाराजा भूपिंदर सिहं का किला पटियाला शहर के बीचोबीच 10 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। ये किला बेहद ही खूबसूरत था जिस पर नक्काशी और तरह तरह की कलाकृतियां बनी थी। जिन्हे महाराजा नरेंद्र सिहं की देखरेख में बनवाया गया था। यहाँ के बाग़ से लेकर महल के अंदर के लस्सी खाना, चौक सभी कुछ बेहद अलग ढंग से बनाए गए थे।

अय्याशी के लिए बनाया लीलाभवन

महाराजा ने अय्याशी को दिखाने के लिये एक नया अड्डा बनवाया था जिसका नाम था ‘लीलाभवन’ यहाँ पर केवल बिना कपड़ों के प्रवेश मिलता था और दीवारों ओर कामसूत्र की उत्तेजक चित्रकारी थी। यहां एक स्वीमिंग पूल भी था जहां पर एक बार में 150 मर्द और महिलाएं स्नान कर सकती थी।

365 रानियों को संतुष्ट रखने के लिए बनाया था ये नियम

जरमनी दास ने अपनी किताब में लिखा है भूपिंदर सिहं ने साल 1900 से 1938 तक पटियाला की पुरानी रियासत पर राज किया। उसकी 365 रानियां थी और उनके साथ समय बिताने के लिए उसने एक अलग तरह का तरीका आजमाया हुआ था। महाराजा पटियाला के महल में प्रतिदिन 365 लालटेन जलवाते थे जिन पर उनकी 365 रानियों के नाम लिखे होते थे। जो लालटेन सुबह पहले बुझती थी महाराजा उस लालटेन पर लिखा हुआ रानी का नाम पढ़ते थे और उसी के साथ रात बिताते थे।

‘रणजी ट्राफी’ की शुरुआत

भारत में क्रिकेट को बढ़ावा देने का श्रेय भी महाराजा भूपिंदर सिंह को जाता है। उन्होंने ही मुंबई और अमृतसर में 2 स्टेडियम बनवाएं। महाराजा ने ही राजकुमार रणजीत सिहं को श्रद्धाजंलि देने के लिए ‘रणजी ट्राफी’ की शुरुआत की थी।

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