BY: Varsha Saini

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महाभारत ग्रंथ में कई ऐसे पात्र है जिनके बारे में आपको जानकारी नहीं होगी और इनकी जिंदगी भी किसी पहेली के समान है। ऐसे ही एक पात्र के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं इरावन की. जो कि अर्जुन और उनकी एक पत्नी उलूपी के पुत्र थे।

इरावन ने पुरुष के रूप में जन्म लिया था लेकिन एक श्राप के कारण वह किन्नर बन गए थे।महाभारत के अनुसार, युद्ध के समय जीत के लिए श्री कृष्ण ने पांडवों को मां काली की पूजा करने की सलाह दी।

तब सभी पांडव मां काली की पूजा के लिए कुंड बना कर तैयार हो गए। उन्हें एक बलि की जरूरत थी लेकिन कोई आगे नहीं आया। तब इरावन नेअपने प्राण मां काली के सामने त्यागने का निर्णय किया और सभी पांडव मान गए।

हालांकि इरावन ने यह शर्त रखी थी कि मरने से पहले वे विवाह करना चाहते हैं। यह शर्त सुन पांडव हैरान रह गए क्योकिं कौन सा पिता अपनी पुत्री का विवाह करने को तैयार होगा जबकि उसका पति एक दिन बाद मरने वाला हो।

तब श्री कृष्ण ने मोहिनी का स्त्री रूप धारण किया और इरावन से विवाह रचाया। इरावन की मृत्यु के बाद श्री कृष्ण ने अगले दिन विधवा की तरह विलाप भी किया।

इरावन के त्याग के कारण ही मां काली ने पांडवों को युद्ध में विजय पाने का वरदान दिया और इरावन को भी एक विशेष आशीर्वाद दिया। उनके वरदान के कारण ही इरावन किन्नरों के देवता बने और तभी से किन्नरों से एक दिन के लिए शादी करने की परंपरा भी शुरू हुई। किन्नर उन्हें अपना भगवान मानते हैं। हर साल वे इरावन से एक दिन के लिए शादी करते हैं और अगले दिन उनके मरने का शोक मना कर विलाप करते हैं।

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