मैगी का नाम सुनते ही मुँह में पानी आ जाता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक सब इस से वाकिफ हैं और हर कोई मैगी का दीवाना भी है। ये 2 मिनट में बनकर तैयार हो जाती है। आज हम आपको मैगी के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं कि इसे नाम कैसे मिला और मैगी की शुरुआत कैसे हुई?

स्विट्जरलैंड में रहने वाले जूलियस मैगी ने साल 1872 में अपने नाम पर कंपनी का नाम Maggi रखा था। उस समय स्विट्जरलैंड में इंडस्ट्रियल क्रांति का दौर था। महिलाओं को लंबे समय तक फैक्ट्रियों में काम कर के घर जाकर खाना बनाना पड़ता था। इसके बाद स्विस पब्लिक वेलफेयर सोसायटी ने जूलियस मैगी की मदद ली थी। इसी तरह मैगी की शुरुआत हुई और जूलियस ने प्रोडक्ट का नाम अपने सरनेम पर रख दिया। साल 1897 में सबसे पहले जर्मनी में मैगी नूडल्स पेश किया गया था।

शुरुआत में जूलियस मैगी ने प्रोटीन से भरपूर खाना और रेडीमेड सूप बनाकर बेचना शुरू किया था। इसके लिए उन्होंने अपने दोस्त फिजिशियन फ्रिडोलिन शूलर से मदद ली थी। साल 1912 तक मैगी अमेरिका और फ़्रांस तक पहुंच चुकी थी मगर उसी साल जूलियस मैगी का निधन हो गया। फिर साल 1947 में नेस्ले ने मैगी को खरीद लिया और उसकी ब्रांडिंग और मार्केटिंग ने मैगी को हर घर के किचन में पहुंचा दिया।

साल 1947 में 'Maggi' ने स्विट्जरलैंड की कंपनी Nestle के साथ विलय किया था, जिसके बाद Nestle इंडिया लिमिटेड Maggi को 1984 में भारत लेकर आई थी।

नेस्ले इंडिया विज्ञापन पर करीब 100 करोड़ रुपये खर्च करती है, जिसमें मैगी की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। मैगी ब्रांड के तहत नेस्ले ने सूप, भुना मसाला, मैगी कप्पा मैनिया इंस्टैंट नूडल्स जैसे प्रोडक्ट भी लॉन्च किए। भारत में नेस्ले समूह के कुल मुनाफे में मैगी ब्रांड की करीब 25 फीसदी हिस्सेदारी हो चुकी है और सालाना आंकड़ा करीब 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच चुका है।

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