इस सामग्री के बिना अधूरी होती है लोहड़ी की पूजा, जानिए पूजा की विधि
मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी पर्व मनाया जाता है। यह पंजाबियों के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। अब तो लोहड़ी की धूम सिर्फ पंजाब में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में बसे पंजाबियों की वजह से हर जगह दिखाई देती है। बस कुछ ही दिनों में लोहड़ी आने वाला है, और जिसको लेकर हर कोई तैयारी में लगा हुआ है। कहते इस पर्व को लेकर हर कोई उत्साह में रहता है क्योकि ये साल का पहला पर्व होता है।
माना जाता है यह पर्व खुशहाली के आगमन का प्रतीक भी है। साल के पहले मास जनवरी में जब यह पर्व मनाया जाता है उस समय सर्दी का मौसम जाने को होता है। इस पर्व की धूम उत्तर भारत खासकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में ज्यादा होती है। कृषक समुदाय में यह पर्व उत्साह और उमंग का संचार करता है क्योंकि इस पर्व तक उनकी वह फसल पक कर तैयार हो चुकी होती है।
पंजाब में आज भी जहां यह पर्व परम्परागत तरीके से मनाया जाता है, पंजाब में इस दिन सभी गली मोहल्लों में यह दृश्य आम होता है कि बहुएं लोकगीत गाते हुए घर घर जाती हैं और लोहड़ी मांगती हैं।
इस दिन जगह−जगह युवक एकत्रित होकर ढोल की थाप पर भांगड़ा करते हैं और एक दूसरे को लोहड़ी की बधाइयां देते हैं। महिलाएं भी खेतों की हरियाली के बीच अपनी चुनरी लहराते हुए उमंगों को नयी उड़ान देती हुई प्रतीत होती हैं। महिलाएं इस पर्व की तैयारी कुछ दिन पहले से ही शुरू कर देती हैं।
बाजारों में भी लोहड़ी की तैयारी करीब सप्ताह भर शुरू हो जाती है। मूंगफली, तिल के लड्डू, रेवड़ी के अलावा तरह तरह की गजक की बिक्री शुरू हो जाती है। यह सभी सामग्री प्रसाद के रूप में रात को अलाव में डाली जाती है। आग में इस सामग्री को डाल कर ईश्वर से धनधान्य से भरपूर होने का आशीर्वाद मांगा जाता है।