इंटरनेट डेस्क। भगवान श‌िव का ध्यान करने मात्र से मन में जो एक छव‌ि उभरती है वो एक वैरागी की तरह। इनके एक हाथ में त्र‌िशूल, दूसरे हाथ में डमरु, गले में सर्प माला, लगा हुआ है। आप दुन‌िया में कहीं भी चले जाइये आपको श‌िवालय में श‌िव के साथ ये 3 चीजें जरुर द‌‌िखेगी। आज हम आपको भगवान शिव के ये 3 चीजों को धारण करने के पीछे की वजह क्यों भगवान इसे धारण करते है और क्या है इसके पीछे का रहस्य।

भगवान शिव को सभी अस्त्रों को चलाने में सिद्धि प्राप्त है। मगर धनुष और त्रिशूल उन्हें सबसे प्रिय हैं। त्रिशूल को रज, तम और सत गुण का प्रतीक भी माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि इन्हीं से मिलकर भगवान शिवजी का त्रिशूल बना है। महाकाल शिव के त्रिशूल के आगे सृष्टि की किसी भी शक्ति का कोई अस्तित्व नहीं रह जाता है।

ऐसी मान्यता है कि सृष्टि की रचना के समय जब विद्या और संगीत की देवी सरस्वती अवतरित हुईं तो उनकी वाणी से ध्वनि जो पैदा हुई वह सुर व संगीत रहित थी। शास्त्रों के अनुसार, तब भगवान शिव ने 14 बार डमरू और अपने तांडव नृत्य से संगीत की उत्पति की और तभी से उन्हें संगीत का जनक माना जाने लगा।

भगवान शिव के गले में लटके नाग, नागलोक के राजा वासुकी हैं। ऐसा कहा जाता है कि वासुकी भोलेभंडारी शिव के परमभक्त थे, जिनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें आभूषण स्वरूप में हमेशा अपने निकट रहने का वरदान दिया था। इस कारण से संपूर्ण नागलोक शिव के उपासक माने गए हैं।

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