हर धर्म का अपना अलग अलग मान्यताएं है। लेकिन हिंदी धर्म की बात करे तो इनकी मान्यता बहुत ह डिफरेंट है। बात करे हिन्दू धर्म की तो प्राचीन समय से हम देखते आ रहे हैं, कि जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसके शव को शमशान में ले जाते वक्त उनके परिजन ‘राम नाम सत्य है।’ ये बोलते हैं। परंतु ये बोलने का असल उद्देश्य क्या है, आप नहीं जानते होंगे, तो चलिए आज जानते है, इसके पीछे की वजह।

मृतक की शवयात्रा के समय लगाए जाने वाले ‘राम नाम सत्य है।’ नारे का संबंध महाभारत के पात्र धर्मराज युधिष्ठिर के एक श्लोक के माध्यम से है। धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा है कि नित्य ही प्राणी मरते हैं, लेकिन शेष परिजन संपत्ति को ही चाहते हैं।

इसलिए शवयात्रा में ‘राम नाम सत्य है।’ यह बोलकर मृतक को सुनाना नहीं होता है, बल्कि साथ में चल रहे परिजन को सुनना है, जो मृतक के संपत्ति के लिए वाद-विवाह करते हैं और संपत्ति का बंटवारा करते हैं, लेकिन अन्य व्यक्ति को भी यह मालूम होना चाहिए कि राम का नाम सत्य है यानि जिसने इस धरती पर जन्म लिया, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए धन दुलत का कोई लोभ ना करें क्योकि ये सब रखा रह जाएगा।

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