कैप्सूल दो रंग के क्यों होते हैं और प्लास्टिक जैसी लेयर के बावजूद ये हमारे शरीर को नुकसान क्यों नहीं पहुंचाता है, जानें
आपने आज तक कई बिमारियों के इलाज के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए कैप्सूल जरूर खाएं होंगे या इन्हे देखा होगा। आपने गौर किया हो तो कैप्सूल हमेशा दो रंग के होते हैं तो आपने कभी सोचा कि आखिर इनके रंग अलग अलग क्यों होते हैं। वहीं इसका एक हिस्सा बड़ा और एक हिस्सा छोटा होता है। इसी बारे में आज हम आपको बताने जा रहे ह।
कंटेनर और कैप को मिलाकर एक कैप्सूल बनता है। इसके कंटेनर वाले हिस्से को दवा स्टोर करने के लिए बनाया गया है और कैप को दवा गिरने से रोकने के लिए। दोनों का अंतर् समझ आ जाए इसलिए ऊपरी और निचले हिस्से का रंग अलग अलग रखा जाता है। इस से पता चल जाता है कि कंटेनर कौनसा है और कप कौनसी है?
कैप्सूल को बनाते समय कोई गड़बड़ी न हो इसलिए इनका रंग अलग-अलग रखा जाता है। इस से कैप्सूल की लागत में भी बढ़ोतरी होती है, लेकिन दवा तैयार करने में किसी तरह कि दिक्कत न आए इसलिए कंपनियां कंटेनर और कैप का रंग अलग रखती हैं।
कैप्सूल जिलेटिन और सेल्यूयोज दोनों तरह के पदार्थ से बनाया जा सकता है। कई देशों में जिलेटिन से बने कैप्सूल पर बैन लगा हुआ है। भारत में भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जिलेटिन की जगह सेल्यूलोज के कैप्सूल बनाने का आदेश दिया है।