पुरे सालभर में श्रावण मास बहुत ही खुशहाली और हरयाली का माना जाता है। सावन के बाद त्योहारों की लाइन लग जाती है, वैसे श्रावण मास में भगवान शिव के भक्त उनकी भक्ति में पूरी तरह से लीन होते है, और इस माह में शिव के भक्त कांवड़ भी लाते हैं और भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं। ऐसे में यह प्रश्न उत्पन्न होना स्वाभाविक है कि कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई और पहली बार कांवड़ लेकर कौन आया था। जानिए कांवड़ यात्रा से जुड़ी कुछ रोचक बातें।


1- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम ने सबसे पहले शिवजी को कांवड़ से जल चढ़ाया था। उसके बाद यह परंपरा शुरू हो गई। परशुराम ने यूपी के बागपत में पुरा महादेव का गंगाजल से अभिषेक किया था।


2- परशुराम के अलावा कांवड़ के साथ जिस व्यक्ति का नाम आता है वो हैं - श्रवण कुमार। माता-पिता के भक्त श्रवण कुमार उन्हें कांवड़ में बैठाकर तीर्थयात्रा कराने गए थे।

3- कुछ मान्यताएं रावण को भी कांवड़ यात्रा का श्रेय देती हैं। उनके अनुसार जब शिवजी ने जगत के कल्याण के लिए विष पी लिया था तो रावण उन्हें रोज जल चढ़ाने आता था। वह चाहता था कि जल की शीतलता से महादेव पर विष का प्रभाव कम हो जाए।

4- ऐसा भी माना जाता है कि भगवान श्रीराम सबसे पहले कांवड़ लेकर आए थे। उन्होंने बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लिया और बाबाधाम में शिवजी का अभिषेक किया। इस प्रकार कांवड़ यात्रा को लेकर अनेक मान्यताएं प्रचलित हैं।

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