दोस्तों, आपको बता दें कि इंसान अपने प्यार को दर्शाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाता है। कभी कोई आर्थिक मदद के ​जरिए उसके जीवन में बदलाव लाकर या फिर कोई बढ़िया उपहार देकर अपना प्यार प्रकट करता है। हम सभी यह अक्सर देखते हैं लोग तोहफे में भगवान की मूर्ति देना बहुत पसंद करते हैं। आइए जानें, वास्तुशास्त्र के मुताबिक भगवान की मूर्ति उपहार में देने से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।

बता दें कि तोहफे यानि उपहार में किसी को भी भगवान की मूर्ति देना शुभ नहीं माना जाता है। किसी भी भगवान की मूर्ति सिर्फ और सिर्फ अपने लिए ही खरीदनी चाहिए। क्योंकि जब आप यह मूर्ति अपने घर लाते हैं, तब उसकी देखभाल करने के लिए नियमों का पालन करते हैं। लेकिन वहीं मूर्ति किसी को उपहार में देने के बाद यह पता नहीं होता है कि संबंधित व्यक्ति मूर्ति की सही देखभाल अथवा विधिवत पूजा-अर्चना कर रहा है अथवा नहीं।

भगवान गणेश की मूर्ति उपहार में देने का मतलब
घर में किसी भी शुभ कार्य की शुरूआत भगवान गणेश की पूजा-अर्चना से ही होती है। बेटी की शादी में गणपति की मूर्ति उपहार में नहीं देनी चाहिए, मान्यता है कि ऐसा करने से मायके वालों की आर्थिक समृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। घर में सुख, शांति बनाए रखने के लिए घर में सफेद गणेश जी की मूर्ति रखना शुभ होता है। अगर आप गणेश जी की मूर्ति या फोटो गिफ्ट कर रहे हैं तो ध्यान रखें की उसकी लंबाई 18 इंच से कम ना हो।

क्या कृष्ण-राधा की मूर्ति गिफ्ट करनी चाहिए?
राधा-कृष्ण को प्यार का प्रतीक माना जाता है। लेकिन नवदंपत्ति को तोहफे में ऐसी मूर्ति उपहार में नहीं देनी चाहिए। इसके पीछे मान्यता है कि राधा-कृष्ण एक-दूसरे को प्यार करते रहे लेकिन उनकी कभी शादी नहीं हो पाई। हां भगवान विष्णु और लक्ष्मी की मूर्ति उपहार में दे सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे जिसे भी यह मूर्ति उपहार में दे रहे हैं, वह उनके रख रखाव का नियमपूर्वक ध्यान रखे।

गौरतलब है कि गीता में भी श्रीमद्भागवत गीता में दान या उपहार के केवल तीन प्रकार बताए गए हैं-सात्विक, राजसिक और तामसिक। भगवान की मूर्ति उपहार में देने का कहीं कोई वर्णन नहीं मिलता है।

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