जाने ऐतिहासिक शहर महाबलिपुरम का इतिहास,विदेशी पर्यटकों की संख्या में पछाड़ा ताजमहल को
मिलनाडु का शहर महाबलीपुरम का इतिहास बहुत प्राचीन है।ये चेन्नई से लगभग 60 किमी की दूरी पर है।इस शहर का नाम दानवीर असुर राजा महाबली के नाम पर रखा गया था। ये शहर भव्य मंदिरों के लिए मशहूर है।महाबलीपुरम मंदिर भी एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।यह शहर समद्र तट पर स्थित है।महाबलीपुरम की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है।
यहां स्थित कई मंदिर इस जगह की शोभा बढ़ा रहे हैं
कृष्ण की मक्खन गेंद -ये पत्थर एक ढलान वाली पहाड़ी पर टिका हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस पत्थर को भगवान कृष्ण से बाल्य अवस्था में नीचे गिरा दिया था। ये लगभग 1200 साल पुराना पत्थर है।
शोर मंदिर और पंच रंथ मंदिर - ये एक स्मारक परिसर है।ये मंदिर ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है।शोर मंदिर प्रचीन कला का उदाहरण है।पंच रथ या फिर कहें कि पंच पांडवों का रथ नामक मंदिर है।
हर साल यहां बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं।भारत पर्यटन सांख्यिकी 2022 के अनुसार साल 2021-22 में महाबलीपुरम में अधिक संख्या में विदेशी पर्यटक आए।रिपोर्ट के अनुसार महाबलीपुरम या मामल्लापुरम में 2021-22 में 1,44,984 विदेशी पर्यटक आए थे। बता दे की ये संख्या विदेशिय पर्यटकों का 45.50 प्रतिशत है, जिन्होंने टिकट के इस्तेमाल के साथ शीर्ष 10 सबसे लोकप्रिय और केंद्रीय रूप से संरक्षित स्मारकों का दौरा किया।इन आंकड़ों के अनुसार ताज महल 38 हजार पर्यटकों के साथ दूसरे नंबर पर रहा।