आयुर्वेद में, कड़वा स्वाद वाले गिलोय को कई रोगों के उपचार में एक उपयोगी जड़ी बूटी कहा गया है। गिलोय का उपयोग आमतौर पर रस, काढ़े, पाउडर या गिलोय वटी के रूप में किया जाता है।

प्रभावी प्रतिरक्षा
गिलोय में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है और खून को साफ करता है। यह शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है। गिलोय के 4-6 इंच लंबे तने को छीलकर आधे पानी के साथ ग्राइंडर में पीस लें। अब इसे अच्छे से छान लें और एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट पिएं। इससे आपको फायदा होगा।

ठंड में बुखार बुखार
इस बारिश के मौसम में डेंगू, मलेरिया जैसे बुखार के कारण ब्लड प्लेटलेट्स कम होने पर गिलोय का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। एक कप पानी में चार से छह इंच लंबे गिलोय के तने को डालें। पानी आधा रह जाने पर बने इस काढ़े में शहद मिलाकर बार-बार पीने से बुखार से छुटकारा मिलता है। जब प्लेटलेट्स कम हों, तो गिलोय और एलोवेरा के रस को मिलाना और इस्तेमाल करना फायदेमंद है।

टाइप 2 मधुमेह में प्रभावी
हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट होने के नाते, गिलोय रक्त शर्करा के स्तर को कम करता है। लौंग, अदरक, तुलसी को मिलाकर गिलोय का काढ़ा बनाएं और इसका सेवन करें।

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