मौत के 30 साल बाद भी भटकती है ये आत्मा, राहगीरों से करती है मिनरल वॉटर और सिगरेट की मांग
देवों की धरती के साथ पहाड़ियों की गोद में बसा हिमाचल भूतों-प्रेतों के रहस्यों का भी स्वामी है। यहाँ आपको भूत प्रेतों से जुड़ी कई कहानियां सुनने को मिल जाएगी। एक कहानी ऐसी है जो कि 30 साल पुरानी है और लोग आज भी इस पर विश्वास करते हैं। कहा जाता है कि इस युवक की आत्मा हर यात्री से मिनरल वॉटर और सिगरेट की मांग करती है। यदि कोई आत्मा की इस इच्छा को पूरा नहीं करता है तो उसे खुद भी हादसे का शिकार होना पड़ता है।
मनाली-लेह मार्ग से जुड़ा है हिस्सा
ये किस्सा मनाली के लेह मार्ग से जुड़ा है और यहाँ पर भूत का एक छोटा मंदिर भी बना है। जो 17 हजार फीट की उंचाई पर गाटा लूप्स में स्थित है। यहाँ से जो भी गुजरता है उस से आत्मा सिगरेट और मिनरल वाटर मांगती है। यहाँ कई हादसे भी होते आए हैं लेकिन अब इन हादसों में कमी आई है क्योकिं यहाँ एक भूत का मंदिर भी बनाया गया है।
इसके बाद लोग इस मंदिर पर मिनरल वाटर और सिगरेट भेंट चढ़ाने लगे ताकि वे सुरक्षित रहें। आने जाने वाला हर यात्री यहाँ पर मिनरल वाटर और सिगरेट चढ़ाता है।
कब, कैसे और कहां से आया भूत ?
आपके दिमाग में ये सवाल जरूर आया होगा कि आखिर ये भूत की आत्मा कहाँ से आई और यहाँ पर क्यों भटक रही है। इस बारे में कहा जाता है कि करीब 30 साल यहां से गुजर रहा एक ट्रक खराब हो गया था। इसके बाद बर्फबारी हुई और ट्रक ड्राइवर और कंडक्टर को किसी की मदद नही मिल पाई। उसके बाद जब मदद नहीं आई तो ड्राइवर अपने साथी को छोड़ कर मदद के लिए चला गया। गांव इस जगह से करीब 40 किलोमीटर दूर था इसलिए उसे वहां जाने में काफी समय लग गया और बर्फबारी के कारण रास्ता भी जाम हो गया। चालक ने वापस आने की कोशिश की लेकिन बर्फीले तूफान ने रास्ता रोक लिया। करीब एक हफ्ते बाद मदद लेकर वहां पहुंचा तो तब तक कंडक्टर की भूख-प्यास और मौसम की वजह से मौत हो गई थी। तब ड्राइवर ने उसकी लाश को वहीं पर दफना दिया। तभी से लोग यहाँ पर भटकती हुई आत्मा के बारे में कहते हैं।
सबसे खतरनाक रास्ता
मनाली-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर खतरनाक 21 घुमावदार चक्करों वाले हेयर पिन बेंड को गेटा लूप्स कहा जाता है। इसे विश्व का सबसे खतरनाक रास्ता भी माना जाता है। सर्दियों में तो यह रास्ता भारी बर्फबारी के कारण बंद ही रहता है।
यह कहानी मान्यताओं और बुजुर्गों के आधार पर उपलब्ध करवाई गई है। इसके माध्यम से हमारा विचार अन्धविश्वास फ़ैलाने का जरा भी नहीं है।