शकुंतला के किरदार से आप सभी भली भांति परिचित होंगे। शकुंतला और पराक्रमी राजा दुष्यंत की कथा बेहद ही रोमांचक है जिसे कवि कालीदास ने अपने अमर नाटक 'अभिज्ञानशाकुंतलम' में सुनाया है।

आपको बता दें कि शिकार यात्रा पर जाते समय, पुरु वंश के राजा दुष्यंत ने शकुंतला से मुलाकात की। वे देखते ही एक दूसरे को प्यार करने लगे और, अपने पिता की अनुपस्थिति में, शकुंतला ने राजा से शादी कर ली। उन दोनों ने गंधर्व विवाह कर लिया और वन में ही रहने लग गये। जब दुष्यंत के अपने महल में लौटने का समय आता है, तो वो उसे लाने के लिए दूत भेजने का वादा करते हैं और शकुंतला को निशानी के रूप में एक अंगूठी देते हैं।

दुष्यंत के जाने के बाद एक बार शकुंतला उनके ख्यालों में खोई रहती थी। तभी ऋषि दुर्वासा आये जिस समय शकुंतला राजा दुष्यंत के ख्यालो में खोई हुयी थी जिससे ऋषि का उचित आदर सत्कार नही कर पाई। इस से वे बेहद ही क्रोधित हुए और उन्होंने शकुंतला को श्राप दिया कि जिसे भी याद कर रही है वो तुझेभूल जाएगा। सुनकर शकुंतला ने ऋषि से काफी माफ़ी मांगी और उपाय बताने के लिए कहा। ये देख ऋषि दुर्वासा का दिल पिघल गया और उन्होंने उपाय में प्रेम की निशानी बताने पर याददाश्त वापस आने का आशीर्वाद दिया।

काफी दिन निकल गए लेकिन शकुंतला को लेने के लिए कोई दूत नहीं आया। उस समय तक शकुंतला गर्भवती थी। जब उनके पिता ऋषि कण्व वापस तीर्थ यात्रा से लौटे तो शकुंतला ने उन्हें सारी बात बताई। तब उनके पिता ने उन्हें शाही दरबार में जाने की सलाह दी। यात्रा करते समय, शकुंतला अंगूठी को साथ लेकर जाती है लेकिन उनकी निशानी की अंगूठी गलती से नदी में गिर जाती है और खो जाती है जिसे एक मछली निगल जाती है।

जब शकुंतला राजा के सामने जाती है तो शाप के कारण वे शकुंतला को पहचानने से इनकार कर देते हैं। इस से शकुंतला का दिल टूट जाता है और वो देवताओं से अपने पति की स्मृति वापस लाने के लिए प्रार्थना करती है।

इसके बाद देवता उसे आशीर्वाद देते हैं और जिस मछली ने अंगूठी निगलि थी वो मछुआरे को मछली के पेट में मिल जाती है जिसे वह राजा दुष्यंत को भेंट कर देता है। उसे देखते ही राजा दुष्यंत को सब याद आ जाता है और वह शकुंतला से माफ़ी मांगते हैं। शकुंतला भी उन्हें माफ़ कर देती है। आगे जाकर वह एक बच्चे को जन्म देती है। उसे भरत कहा जाता है, जिसके कारण हमारे देश का नाम भारत पड़ा है।

Related News