द्रौपदी के पांच पति थे लेकिन क्या आप जानते है कि द्रौपदी पांडवों की साझी पत्नी थी लेकिन उसके अलावा भी हर पांडव की अलग अलग पत्नी भी थी. वैसे पांडवों की ये पत्नियाँ उनके साथ नहीं रहती थी. ये सब अलग अलग स्थानों पर रहती थी.

अर्जुन ना सिर्फ वीरता के मामले में पांडवों में सबसे आगे थे अपितु विवाह और पत्नियों के मामले में भी अर्जुन का कोई सानी नहीं था. अर्जुन जहाँ भी गए वहां उन्होंने विवाह किया. यहाँ तक की जब युधिष्ठिर ने एकांत भंग करने के फलस्वरूप अर्जुन को वनवास जाने का दंड दिया तो वनवास काल में भी अर्जुन ने विवाह किया था.

सुभद्रा

द्रौपदी के बाद महाभारत में यदि अर्जुन की किसी पत्नी का वर्णन आता है तो वो है सुभद्रा. सुभद्रा श्री कृष्ण की बहन थी जिन्हें अर्जुन से प्रेम हो गया था. सुभद्रा और अर्जुन के पुत्र का नाम अभिमन्यु था. अभिमन्यु महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह को तोड़ने की कोशिश में धोखे से मार दिए गए थे. सुभद्रा के अलावा भी अर्जुन की और भी कई पत्नियाँ और प्रेयसी थी.

नाग कन्या उलूपी

द्रौपदी से पांडवों के विवाह के बाद नियम बनाया गया कि जब एक भाई द्रौपदी के साथ होगा तो कोई और भाई उनका एकांत बहंग नहीं कर सकता. यदि पांचों भाइयों में से किसी ने ऐसा किया तो उसे दंड स्वरुप वनवास दिया जायेगा. एक बार अर्जुन ने यह नियम तोड़ दिया फलस्वरूप अर्जुन को वनवास जाना पड़ा. वनवास के दौरान एक बार सरोवर में स्नान करते समय उन्हें देखकर नाग कन्या उलूपी अर्जुन पर मोहित हो गयी और प्रणय निवेदन किया. अर्जुन ने पहले उसका निवेदन अस्वीकार किया लेकिन बाद में जब उलूपी ने शास्त्रों के बात बताई तो अर्जुन ने निवेदन स्वीकार कर लिया. अर्जुन और उलूपी के विवाह से एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम इरावण था.

चित्रांगदा

उलूपी से विवाह के बाद अर्जुन मणिपुर पहुंचे वहां की राजकुमारी चित्रांगदा अर्जुन पर मोहित हो गयी. अर्जुन भी चित्रांगदा से विवाह करना चाहते थे. विवाह के लिए चित्रांगदा के पिता ने शर्त रखी कि अर्जुन और उनकी पुत्री से होने वाली संतान उनके पास रहेगी और मणिपुर का सिंहासन संभालेगी. चित्रांगदा और अर्जुन से एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम बुब्र्वाहन था.

द्रौपदी सहित अर्जुन की चार पत्नियाँ मानी जाती है.

कुछ कथाओं में अर्जुन की पांच और सात पत्नियों का भी वर्णन है. इंद्र लोक की अप्सरा भी अर्जुन पर मुग्ध थी और उनसे विवाह करना चाहती थी लेकिन अर्जुन ने उसका प्रस्ताव ये कहकर अस्वीकार कर दिया कि वो उनकी माता समान है. इस कारण से उर्वशी ने अर्जुन को श्राप भी दिया था.

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