भगवान शिव के त्रिशूल पर बसी है काशी, जरूर पढ़ें यह रोचक खबर!
हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, काशी को भगवान शिव की सबसे प्रिय नगरी कहा जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जब किसी मनुष्य की मृत्यु काशी में होती है, या फिर किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार काशी में किया जाता है, उसे मोक्ष मिलता है। बनारस यानि काशी में सालभर देशी-विदेशी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
इस स्टोरी में हम आपको काशी से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य बताने जा रहे हैं, जिससे 99 फीसदी लोग नहीं जानते होंगे।
— मान्यता है कि प्रलय के दौरान भगवान शिव ने काशी को अपने त्रिशूल की नोक पर उठा लिया था। इस प्रकाल प्रलय काल में भी काशी सुरक्षित थी।
— काशी विश्वनाथ मंदिर को बादशाह औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था। इसके बाद दोबारा इस मंदिर का निर्माण किया गया। तब से इसकी पूजा—अर्चना आज की जाती है।
— इतिहास के मुताबिक, जब बादशाह औरंगजेब काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने आया, तब यहां की जनता ने इस प्राचीन शिवलिंग को पास के एक कुंए में छुपा दिया था।
— काशी विश्वनाथ मंदिर का पुर्ननिर्माण इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था। कहा जाता है कि भगवान शिव उनके सपने में आए थे और इस मंदिर का पुर्ननिर्माण करवाने के लिए कहा था।
— महारानी अहिल्या बाई द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्वार करवाने के वर्षों बाद महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के लिए सोना दान किया था, जिसका इस्तमाल मंदिर के छत्र पर किया गया है।
— वरुणा और अस्सी नदी के बहने के कारण काशी को वाराणसी नाम से जाना जाता है। ये दोनों नदियां आगे जाकर गंगा नदी से मिल जाती है।
— काशी विश्वनाथ मंदिर से जुड़ी यह मान्यता है कि इस मंदिर का छत्र दर्शन के बाद भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।