करवा चौथ व्रत कार्तिक कृष्ण चंद्रदयापी के चौथे दिन किया जाता है। यदि चंद्रोदय के दो दिन हों तो दोनों दिन और यदि न हो तो 'मातृविद्या प्राश्यते' के अनुसार पूर्वविद्या लेनी चाहिए। सौभाग्यवती या पतिव्रत महिलाओं के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार यह व्रत अलग-अलग जगहों पर मनाया जाता है। इन मान्यताओं में थोड़ा सा अंतर है, लेकिन अंतत: सार एक ही है - पति की लंबी उम्र।

करवी चौथ में मिट्टी का करवा सबसे जरूरी चीज मानी जाती है। बाजार में आसानी से मिल जाता है। इसे लाकर इसमें चावल को पीस घोल बना लें और इसके चारों ओर लगा दें। अगर मिट्टी नहीं है, तो पीतल से बना करवा भी इस्तेमाल करना शुभ होता है। 2 करवा होना जरूरी है। मिट्टी से बने 1-2 दीपक ले लें। इसके अलावा आटा से बना भी एक दीपक शामिल करें करवा चौथ के दिन चंद्रमा को देखने के बाद पति को देखने के लिए छलनी का इस्तेमाल किया जाता है।

इसे भी अपनी लिस्ट में शामिल करेंकरवा चौथ के दिन कांस की तीलियों का भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इन्हें करवा के बने छेद में लगाया था। इस्तेमाल करने के बाद इन्हें रख लिया जाता है और गोवर्धन पूजा के दिन गोबर से गोवर्धन बनाते समय शिखा पर इन्हें लगाया जाता है

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