कामाख्या शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक हैं, जो कि आज बहुत ही बड़ा आस्था का केंद्र बन चुका है,इस मंदिर में कई शक्तियां छुपी हुई हैं, जिससे आए दिन यहां पर चमत्कार होते रहते हैं। चमत्कारों से भरे इस मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है।


कामाख्या शक्तिपीठ असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो कि नीलांचल पर्वत से पूरे 10 किलोमीटर की दूरी पर है, मंदिर बहुत ही चमत्कारी है और यहां से जुड़ी कई अन्य रोचक बातें भी हैं।


ऐसा माना जाता है कि, पूर्ण स्त्रीत्व व मासिक धर्म के बाद ही होता है, लेकिन हिंदू धर्म में मासिक धर्म को अपवित्र ही माना जाता है, हर स्त्री को इस दौर से गुजरना ही पड़ता है, ऐसे में स्त्रियों को पूजा अनुष्ठान या फिर किसी पवित्र पर जाने से मना कर दिया जाता है, दूसरी तरफ मासिक धर्म के समय कामाख्या देवी के मंदिर में माता रानी को पवित्र माना जाता है।


कहा जाता है कि, यहीं पर देवी का एकमात्र ऐसा स्वरूप है, जहां हर महीने मासिक धर्म आता है, यह बात सुनने में थोड़ी अजीब लगती है, लेकिन फिर भी कामाख्या देवी के मानने वालों के मुताबिक हर साल जून के महीने में कामाख्या देवी का रजस्वला स्वरूप सामने आता है, जिसमें उनके बहते हुए रक्त से पूरी ब्रह्मपुत्र नदी लाल हो जाती है

इसी दौरान कामाख्या मंदिर के गर्भ गृह के दरवाजे खुद ही बंद हो जाते हैं. ऐसे समय में देवी के दर्शन करना भी निषेध माना गया है, पौराणिक कथाओं में भी बताया गया है कि, ऐसे 3 दिनों में कामाख्या माता मासिक धर्म में ही रहती हैं और उनकी योनि से रक्त स्राव होता है, इसीलिए देवी कामाख्या को ‘बहते रक्त की देवी’ भी कहते है।

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