ईशा अम्बानी ने शादी के 2 महीने बाद ही उजागर की पति से जुड़े कई राज,जानकर रह जायेंगे हैरान
मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी की शादी किसे नहीं याद होगी. यह भारत की सबसे शाही शादियों में से एक थी. अब ईशा अंबानी की शादी को एक महीने से अधिक हो गए हैं. आम लोग जानने के लिए उत्सुक हैं कि मुकेश अंबानी की बिटिया को ससुराल में कैसा लग रहा है?हाल में एक मशहूर मैगज़ीन को दिए इंटरव्यू में ईशा अंबानी ने अपनी शादी और पति के बारे में बहुत-सी बातें बताईं. ईशा ने स्वीकार किया कि आनंद और उनका स्वभाव बिल्कुल अलग है. आनंद को इवेंट्स अटैंड करना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता, जबकि उन्हें पार्टी से प्यार है.
ईशा ने बताया,” मुझे अपनी शादी में बहुत मज़ा आया, लेकिन आनंद को इन चीज़ों में ख़ास रूचि नहीं है. वे मुझसे ज़्यादा आध्यात्मिक हैं. लेकिन हम दोनों में कुछ समानताएं भी हैं. हम दोनों को ही अपने परिवार से प्यार है और हम दोनों फूडी हैं. मेरे पिता ने शादी के समय एक स्पीच दी थी और आनंद को पसंद करने के 10 कारण बताए थे. वे कारण बहुत मज़ेदार थे और मेरे डैड ने अंत में कहा था कि यही 10 चीज़ें उनके अंदर भी हैं. वे बिल्कुल सही थे. आनंद कई मामलों में मेरे पिता जैसे ही हैं. ”
ईशा यही नहीं रूकीं. उन्होंने यह भी बताया कि आनंद ग्रेट लाइफ पार्टनर कैसे हैं? ईशा के अनुसार,”मुझे उनका सेंस ऑफ ह्यूमर और स्पीरिचुएलिटी बहुत पसंद है. ईशा ने बताया कि शादी के बाद भी उनका वर्कलाइफ बैलेंस बदला नहीं है.” ईशा के अनुसार,”इस समय काम हम दोनों की पहली प्राथमिकता है. अच्छी बात यह है कि हमारे पैरेंट्स इस बात को समझते हैं. मेरे मायके और ससुराल का वर्क एथिक एक जैसा है. हमारे परिवार के हर एक सदस्य को काम की उपयोगिता मालूम है.”
ईशा की शादी शायद ही कोई जल्दी भूल पाए. अपनी शाही गुज्जू शादी के बारे में बात करते हुए ईशा ने कहा,” शादी बहुत अच्छे से संपन्न हो गई. हर दुल्हन की तरह मेरे मन में भी थोड़ा डर था, लेकिन घर पर शादी करना बहुत स्पेशल अनुभव रहा. मेरे अपने जीवन के सबसे ख़ूबसूरत लम्हों को उन लोगों के साथ बांटा, जिन्हें मैं सबसे ज़्यादा प्यार करती हूं.”
वही ईशा अंबानी पीरामल ने अपने पिता मुकेश अंबानी के बारे में कहा, ”मैंने अपने पापा को अपने सपनों को पूरा करने के लिए बहुत मेहनत करते देखा है। आज रिलायंस कंपनी इसी का नतीजा है। वह कई-कई घंटों तक काम करते थे, लेकिन जब भी हमें उनकी जरूरत होती थी तो वह हमारे साथ खड़े होते थे। घर पर हम उन्हीं संस्कारों के बीच बड़े हुए जिन संस्कारों के साथ हमारे पेरेंट्स आज इस मुकाम पर हैं। उन्होंने हमें पैसे की अहमियत, कठिम परिश्रम और विनम्रता सिखाई है।”