क्या हिन्दू धर्म से ही निकला है इस्लाम? यहाँ जानिए पूरा सच
भारत की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है हिन्दू और मुस्लिम के बीच मज़हबी टकराव। धर्म के ठेकेदारों के कारण हिन्दू मुस्लिम के बीच का ये भेदभाव और भी बढ़ता जा रहा है।
लेकिन आप यदि ध्यान से देखें और खुले दिमाग से सोचें तो तो ये दोनों धर्म एक जैसे ही है। आपको बस अपना दिमाग खोल कर सोचने की जरूरत है।
हर धर्म यही सीखाता है कि सब एक है फिर भी कुछ लोग तो फिर आखिर क्यों कुछ लोग अलग अलग धारणाएं देकर अपने धर्म को दूसरे धर्मों से ऊँचा दिखाने की कोशिश करते हैं?
नमाज़ संस्कृत शब्द है – जी हाँ आपने सही सुना। इनके अनुसार नमाज़ संस्कृत के शब्द नम: और यजा से बना है। अब ऐसा तो हो नहीं सकता कि अरब में रेगिस्तान में जब इस्लाम पैदा हुआ तो क्या वहां संस्कृत में बात की जाती थी। इस तर्क को समझना जरा कठिन है।
फगवा और हरा एक ही है – ये एक और मूर्खतापूर्ण समानता बनाने की कोशिश है। सभी अपने धर्म को बड़ा दिखाने के लिए ये तर्क देते रहते हैं। इसके अनुसार जिस तरह भारत के हरे भरे जलवायु में पीला या भगवा रंग आसानी से दिख जाता है और इसी कारण भगवा रंग को इतना अधिक महत्व दिया जाता है ठीक उसी तरह अरब देश जहाँ रेगिस्तान है वहां भूरी मिटटी में हरा रंग ज्यादा दिखाई देता है, इसीलिए हरे रंग को ज्यादा महत्व दिया गया।
ब्रम्हा और अब्राहम एक है – हिन्दू धर्म में सृष्टि के रचियेता ब्रम्हा को कहा जाता है और उनकी पत्नी सरस्वती है। उसी तरह इस्लाम में अब्राहम और सारा है। इसके अनुसार कहा जाता है अब्राहम अर्थात ब्रम्हा और सारा सरस्वती का अपभ्रंश। ये भी अपने धर्म को ऊँचा दिखाने का ही एक तर्क है।
रमजान हिंदी शब्द है – कहा जाता है कि रमजान शब्द हिंदी/संस्कृत के राम और ध्यान से बना है और नमाज पढ़ते वक्त जब हम झुकते हैं तो वो एक आसन है। क्या आप इस बात पर यकीन कर सकते हैं?
मक्का में मंदिर है – जिस तरह बहुत से लोग ताजमहल को तेजो महालय नाम का शिव मंदिर कहते हैं वहीं बहुत से लोग ये भी कहते हैं कि मक्का भी मंदिर ही है। काबा में रखे पत्थर को हज्रे अस्वाद कहते है। कहा जाता है कि ये संस्कृत के संघे अश्वेत से आया है। इतना ही नहीं कुछ लोग ये भी कहते हैं कि भगवान विष्णु का पैर जिन तीन जगहों पर पड़ा उनमे से एक मक्का भी है।
है ना ये सब कमाल की समानताएं दोनों धर्मों की। अब ये सब वाकई में कितना सच है और कितना नहीं? इस बारे में हम भी पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कह सकते हैं। सबके अपने अपने तर्क है इन्हें सच और झूठ साबित करने और अपने धर्म को ऊँचा दिखाने के तरीके है।