पुराने जमाने में कुछ ऐसे थे गर्भनिरोध के तरीके, जानकर हैरान रह जाएंगे आप!
बता दें कि हमारे देश में परिवार नियोजन कार्यक्रम 1952 में ही शुरू हो गया था। इसके बाद साल 1977 में भारत सरकार ने नई बर्थ कंट्रोल पॉलिसी लागू की।
आपातकाल में परिवार नियोजन कार्यक्रम की आलोचना के बाद इसका नाम बदलकर परिवार कल्याण कार्यक्रम कर दिया गया। आजकल लोग परिवार नियोजन के लिए कई तरह दवाएं और कंडोम से लेकर अन्य दूसरे वैज्ञानिक तरीके आजमाते हैं। बता दें कि पुराने जमाने में गर्भ निरोध के लिए कुछ ऐसे तरीके थे, जिससे जानकर आप हैरत में पड़ सकते हैं।
निचोड़ा हुए आधे नींबू का इस्तेमाल
विश्व की कई संस्कृतियों में निचोड़े हुए आधे नींबू का इस्तेमाल शुक्राणुनाशक के रूप में किया जाता था। भेड़ के मूत्राशय के बने कॉन्डम में निचोड़े हुए आधे नींबू का इस्तेमाल अस्थायी रूप से सर्वाइकल कैप के रूप में किया जाता था।
मगरमच्छ का मल
प्राचीन मिस्र की कामुक महिलाएं गर्भ रोकने के लिए मगरमच्छ के मल का इस्तेमाल करती थीं। महिलाएं मगरमच्छ के मल का इस्तेमाल पेसरिज़ के रूप में करती थीं।
मगरमच्छ का मल आधुनिक शुक्राणुनाशक की तरह हल्का क्षारीय होता है, इसलिए इसके कारगर होने की संभावना अधिक रहती है।
जानवरों की अंतड़ियों से बने कंडोम का इस्तेमाल
प्राचीन ग्रीक और रोमन लोग जानवरों की अंतड़ियों से बने कंडोम का इस्तेमाल किया करते थे। ये कंडोम गर्भ निरोध तो करता ही था, साथ ही यौन संक्रमण से भी बचाता था।
चांद की तरफ पीठ करके सोना
पुराने जमाने में ग्रीनलैंड के निवासी यह मानते थे कि चांद की तरफ सिर करके सोने से महिलाएं गर्भवती हो जाती हैं। इसलिए वहां की महिलाओं को चांद की तरफ सिर करके सोना मना था।
ग्रीनलैंड की महिलाएं न केवल चांद की तरफ पीठ करके सोती थीं बल्कि अपनी नाभि पर थूक लगा लेती थीं।
ज़ैतून के तेल से स्नान करना
ग्रीस में महिलाएं जैतून और देवदार के तेल को मिलाकर स्नान करती थीं। उनका ऐसा मानना था कि ऐसा करने से पुरूष के स्पर्म धुल जाते थे।
खाली पेट तेल और पारे का सेवन
पुराने जमाने में चीन में महिलाओं को गर्भ निरोध के लिए तेल और पारा का घोल पिलाया जाता था। हांलाकि यह बहुत नुकसानदेह होता था। कभी कभी इससे मौत तक भी हो जाती थी। पारा के सेवन से महिलाओं में बांझपन का ख़तरा बना रहता था।