जब-जब धरती पर बुराई का भार पड़ा है बुराई ने जब-जब अपनी सीमाएँ तोड़ अच्छाई पर खुद को हावी करने की कोशिश की है तो बुराई को पराजित करने के लिए कभी-कभी छल का सहारा लेना ही पड़ता है.

लेकिन दोस्तों क्या आपको ये पता है कि दुनिया में छल-कपट सबसे पहले कहा से आया. अगर नहीं तो बता दे की पुराणों के अनुसार इस छल की शुरुआत महाभारत युग में भगवान श्री कृष्ण ने की थी.

श्रीकृष्ण को पांडवो की जीत का सूत्रधार माना जाता है. भगवान गीता के अनुसार जब अर्जुन अपने परिवारजनों को युद्धस्थल में देखकर अपना साहस खोने लगे तो श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का ज्ञान दिया. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया कि अधर्मियो का नाश करने के लिए छल-कपट का सहारा लेना कोई अधर्म नहीं होता. इसी छल कपट के सहारा भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान कई वीर योद्धाओं को बीना शस्त्र के पराजित किया था.

तो आइए जानते हैं महाभारत में किन-किन योद्धाओं को भगवान श्रीकृष्ण ने पराजित किया था –

कर्ण

श्रीकृष्ण ने कर्ण को पहले ही उसकी मृत्यु के बारे में बता दिया था उन्होंने कर्ण को कहा ‘मैं जानता हूँ कि तुम्हारे साथ छल करना उचित नहीं है क्योंकि तुम एक सच्चे योद्धा हो परंतु तुम्हें छल के बिना पराजित नहीं किया जा सकता यही तुम्हारा सामर्थ्य है.’और इसके बाद रणभूमि में कर्ण के रथ के पहिये के भूमि में धंसते ही श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कर्ण पर प्रहार करने को कहा. और इस तरह कर्ण परास्त हो गए.

द्रोणाचार्य

गुरु द्रोण को हराना कोई सरल कार्य नहीं था लेकिन वह पुत्र मोह में बंधे हुए थे जिसका फायदा भगवान श्रीकृष्ण ने रणभूमि में उठाया, श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को कहा कि वह रणभूमि में चिल्लाते हुए कहें की “अश्वत्थामा मर चुका है”, ये सुनकर गुरु द्रोण जमीन पर घुटनो के बल गिर गए और पांडवों ने उनका वध कर दिया. वास्तव में युधिष्ठिर का संकेत अश्वात्थामा नाम के हाथी से था. द्रोणोचार्य के पुत्र का नाम भी अश्वत्थामा था.

भीष्म

भीष्म को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था. जिस कारण उन्हें कोई भी पुरुष पराजित नहीं कर सकता था. जबकि किसी स्त्री पर भीष्म शस्त्र नहीं उठाते थे. इसलिए श्रीकृष्ण ने भीष्म की मृत्यु के कारण के रूप में जन्मी शिखंडी का सेहरा लिया और उसे रणभूमि में उतारा.

घटोत्कच

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बचाने के लिए भीम पुत्र घटोत्कच को रणनीति का प्यादा बनाया और उसे युद्धभूमि में उतार दिया. क्योंकि अर्जुन को केवल ब्रह्मास्त्र से ही पराजित किया जा सकता था जो कि कण के पास था लेकिन घटोत्कच के रणभूमि में उतरने के कारण कण को ब्रह्मास्त्र घटोत्कच पर प्रयोग करना पड़ा.

जयद्रथ

अर्जुन ने जयद्रथ को सुर्यअस्त से पहले मारने का प्रण लिया था अन्यथा वह आत्मदाह करने को तैयार थे. इस कारणवर्श श्रीकृष्ण ने योगमाया के जरिए सूर्य को बादलों के भीतर छुपा दिया जिस कारण जयद्रथ को लगा की सूर्य डूब चुका है और वह निडर होकर बाहर आ गया, और तभी सूर्य बादलों के पीछे से निकल आया और इस तरह अर्जुन ने जयद्रथ का वध कर दिया.

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