कहते हैं कि आत्मा को कोई भी नहीं मार सकता है। जिस तरह हमारा शरीर एक वस्‍त्र उतार कर दूसरे वस्‍त्र धारण कर लेता है उसी तरह आत्मा भी एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है।

कैसे बदलती है आत्‍मा शरीर
एक शरीर को छोड़कर दूसरे शरीर में प्रवेश करने का अर्थ शरीर से नहीं बल्कि हमारे कर्मों पर निर्भर करता है। जैसे हमारे कर्म होंगें हमे अगले जन्‍म में वैसा ही शरीर और जीवन मिलेगा। इसके अलावा प्रकृति भी ये निर्णय करती है कि मृत्‍यु के बाद हमारी आत्‍मा को कैसा शरीर मिलेगा।

आत्मा की नहीं चलती मर्जी

मृत्‍यु के बाद कोई भी आत्मा किसी भी शरीर में प्रवेश नहीं कर सकती है। इसका निर्णय उसकी नीयति लेती है और उसी के अनुसार उसे अगले जन्‍म में कोई शरीर मिलता है।

कई बार हमारे में ये विचार आता है कि मृत्‍यु के बाद कितने समय तक आत्‍मा कितने दिनों तक भटकती रहती है। कितने दिनों बाद आत्मा को शरीर मिलता है – हिंदू धर्म के वेद पुराणों में उल्‍लेख मिलता है।

कितने दिन में मिलता है आत्मा को शरीर – दूसरा शरीर

वेद-पुराणों के अनुसार एक शरीर को छोड़ने के बाद आत्मा को नियमित रूप से किसी भी शरीर को धारण करने की अनुमति नहीं होती है।

उसे दूसरा शरीर धारण करने में बहुत दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है और बहुत भटकना पड़ता है लेकिन किसी-किसी आत्मा को शरीर 3 दिन के भीतर ही मिल जाता है तो कुछ आत्‍माएं ऐसी भी होती हैं आत्मा को शरीर मिलने में 10 या 13 दिन का समय लग जाता है। इसी वजह से हिंदू धर्म में 10वीं और 13वीं मनाई जाती है।

आत्मा की जिद

कुछ आत्‍माएं ऐसी भी होती हैं जो समय से पूर्व की शिक्षाओं के पूर्ण होने से पहले ही मृत्‍यु को प्राप्‍त हो जाती हैं। इस वजह से वह दूसरे शरीर में प्रवेश ना करने का हठ करने लगती हैं। इस कारण ऐसी आत्‍माओं को दूसरा शरीर धारण करने में 37 या 40 दिन का समय लग जाता है।

बरसी का अर्थ

हिंदू धर्म में किसी व्‍यक्‍ति की मृत्‍यु के उपरांत बरसी की जाती है। इसका अर्थ होता है कि अगर उनकी आत्‍मा को किसी कारण से भी प्रेतयोनि प्राप्‍त हुई है या उन्‍होंने दूसरा शरीर प्राप्‍त नहीं किया है तो वह उस समय दूसरे शरीर को धारण कर लें।

अगर कोई आत्‍मा प्रेतयोनि में चली जाती है जो इसका मतलब है कि उनका मन अशांत है। ऐसी आत्‍माएं दूसरों को परेशान करती हैं। अकसर जिन लोगों की अकाल मृत्‍यु या किसी दुर्घटना या हत्‍या की जाती है उन लोगों की आत्‍मा प्रेत योनि में जाती है। वो आत्‍माएं असमय हुई अपनी मृत्‍यु को स्‍वीकार नहीं कर पाती हैं और इस वजह से हठी हो जाती हैं।

इस तरह से मिलता है आत्मा को शरीर – दोस्‍तों, वेद-पुराणों की मानें तो हर आत्‍मा को दूसरा शरीर पाने में कम से कम 3 दिन और ज्‍यादा से ज्‍यादा 40 दिन का समय लगता है लेकिन अगर कोई आत्‍मा प्रेत योनि में चली गई है तो उसे शायद ही कोई शरीर प्राप्‍त होता है। प्रेत योनि का मतलब है भूत-प्रेत।


Related News