भारत में कोरोना की दूसरी लहर के बीच अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की कमी देखने को मिल रही है, एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर ज्यादा से ज्यादा Trees लगाए गए होते तो देश में कभी भी ऑक्सीजन की कमी नहीं होती, लेकिन ध्यान ये रखना है कि पेड़ ऐसा लगाएं जो ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करता हो।

पीपल के पेड़
बात करे सबसे पहले पीपल के पेड़ की तो हिंदु धर्म में पीपल को बौद्ध धर्म में इसे बोधी ट्री के नाम से जानते हैं,पीपल का पेड़ 60 से 80 फीट तक लंबा हो सकता है। यह पेड़ सबसे ज्‍यादा ऑक्‍सीजन देता है, इसलिए पर्यावरणविद पीपल का पेड़ लगाने के लिए बार-बार कहते हैं।

नीम का पेड़
नीम के पेड़ में कई औषधीय गुण होते हैं, ये पेड़ पर्यावरण को साफ रखने में बड़ी भूमिका निभाते हैं, कह सकते हैं कि ये एक तरह से नेचुरल फ्यूरीफायर है। नीम के पेड़ को एक एवरग्रीन पेड़ कहा जाता है, ये पेड़ प्रदूषित गैसों जैसे कार्बन डाई ऑक्‍साइड, सल्‍फर और नाइट्रोजन को हवा से ग्रहण करके पर्यावरण में ऑक्‍सीजन को छोड़ता है।

बरगद का पेड़
बरगद के पेड़ को नेशनल पेड़ कहा जाता है. हिंदुओं में इस पेड़ की पूजा बहुत पहले से की जाती है। ये पेड़ काफी विशाल होता है.इसे हिंदू धर्म में बहुत पवित्र भी माना जाता है। बरगद का पेड़ बहुत लंबा हो सकता है और यह पेड़ कितनी ऑक्‍सीजन उत्‍पादित करता है ये उसकी छाया कितनी है, इस पर निर्भर करता है, यानी जितना बड़ा और घना होगा उतनी ही ज्यादा इस पेड़ से ऑक्सीजन मिलेगी।

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