आजकल लोग नाश्ते में पोहा खाना पसंद करते हैं. दरअसल, पिछले कुछ सालों में खाने में हल्का और झटपट बनने वाला पोहा नाश्ते का एक अच्छा विकल्प बनकर उभरा है। हर राज्य में पोहा बनाने का अलग तरीका होता है. हालांकि कुछ राज्यों में पोहा नाश्ते में खाया जाता है तो कुछ जगहों पर लोग इसे शाम के नाश्ते के साथ खाना पसंद करते हैं। इसे खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है। इसके कारण वजन कम करने वाले लोगों को नाश्ते में पोहा खाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि इसमें कैलोरी बहुत कम पाई जाती है। इसके कुछ नुकसान भी हैं और आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं।

ब्लड शुगर लेवल - आपकी जानकारी के लिए बता दे की, डायबिटीज के मरीज चावल खाने से मना कर देते हैं. दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि चावल खाने से शुगर लेवल बढ़ सकता है। पहले इसे धान के चावल से बनाया जाता है, फिर एक प्रक्रिया को अपनाकर चावल को पोहे का आकार दिया जाता है. इसके कारण जिन लोगों को मधुमेह है या जिन्हें शुगर लेवल बढ़ने का खतरा है उन्हें रोजाना पोहा नहीं खाने की सलाह दी जाती है।

वजन- बता दे की, जो लोग वजन कम करने या शरीर से चर्बी कम करने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें अक्सर पोहा खाने की सलाह दी जाती है। पोहे में कार्बोहाइड्रेट बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो शरीर के वजन को कम करने के बजाय बढ़ा सकता है। अब तक कई शोधकर्ताओं ने खुलासा किया है कि बहुत अधिक कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने से उच्च रक्तचाप, हृदय की समस्याएं, स्ट्रोक और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके साथ ही मूंगफली का इस्तेमाल पोहा बनाने में किया जाता है. मूंगफली का ज्यादा सेवन करने से मोटापा और शरीर का वजन दोनों बढ़ सकता है।

एसिडिटी- नाश्ते में पोहा खाने से पेट लंबे समय तक भरा रहता है। और अगर आप एक निश्चित मात्रा से ज्यादा पोहे का सेवन करते हैं तो इससे पेट में एसिडिटी, ऐंठन, पेट में जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

पोहा कब और कितनी मात्रा में खाएं?- यदि आपको पोहा बहुत ज्यादा पसंद है तो आप इसे हफ्ते में दो बार नाश्ते में खा सकते हैं. और आप चाहें तो इसे हफ्ते में एक बार चाय-नाश्ते के तौर पर भी ले सकते हैं। नाश्ते में पोहा खाते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप एक कटोरी से ज्यादा न खाएं और अगर आप वजन कम करने के लिए पोहा खा रहे हैं तो इसे बनाते समय मूंगफली न डालें.

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