अगर कर रहे है जन्माष्टमी का व्रत तो पहले जान लें इसके नियम
जन्माष्टमी हिंदू धर्म के सबसे पवित्र और लोकप्रिय त्यौहारों में से एक है। इस दिन भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। लोग इस त्यौहार को बहुत हर्षोल्लास से मनाते है और भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए पूरे दिन उपवास भी करते है। पूरे दिन भगवान कृष्ण की मंत्रो का गाते है और भगवत गीता के मंत्रों का उच्चारण करते है।
जन्माष्टमी के दिन उपवास रखना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने पर 10 एकदशी का उपवास रखने जितना फल मिलता है। आप इस दिन पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से व्रत रखकर अच्छा स्वास्थ्य, धन और सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते है।
हिन्दू धर्म की परम्पराओं के अनुसार जन्माष्टमी के दिन निर्जल और फलाहार दो तरह का व्रत किया जा सकता है। निर्जल व्रत के दौरान आपको पूरे दिन बिना जल के रहना होता है और फलाहार व्रत में आप पानी, फलाहार और दूध ले सकते है।
अगर आप जन्माष्टमी का व्रत रख रहे है तो सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़-सुथरे कपड़ें पहनें। इसके बाद अपने पूजा कक्ष को साफ करें और भगवान कृष्ण की मूर्ति पर दूध, शहद, दही, घी और शक्कर चढ़ाएं। इसके बाद मूर्ति को नए वस्त्रों और ज्वेलरी से सजाएं। पूर्ण विधि से पूजा करने के बाद अंत में आरती करें और भगवान श्रीकृष्ण को दही, घी, तुलसी के पत्तों, शहद और शक्कर से बना हुआ पंचामृत चढ़ाएं।
आपको जन्माष्टमी का उपवास सही समय पर ही खोलना चाहिए। इस दिन मांसाहार, शराब और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आपको इस दिन अनाज और दालों का सेवन भी नहीं करना चाहिए। इस दिन आपको अपने दिन की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से करनी चाहिए। अगर संभव हो तो इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर जरूर जाएँ।