महाभारत के युद्ध के बारें में आपने सुना होगा। ये युद्ध कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था और इस युद्ध में जीत पांडवों की ही हुई थी। महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था। इस युद्ध में जितने लोगों का खाना बनता था उसके अगले दिन कई सैनिक मारे जाते थे फिर भी खाना कभी बर्बाद नहीं होता था। लेकिन आखिर ऐसा कैसे संभव है कि खाना हमेशा सैनिकों की संख्या के हिसाब से ही बनता था। इसके पीछे भी एक रहस्य है जिस से पता चल जाता था कि अगले दिन कितने सैनिकों की मृत्यु होगी। चलिए जानते हैं कि इसके पीछे का रहस्य था.

क्या था रहस्य-
महाभारत के युद्ध के दौरान प्रतिदिन लाखों लोगों के लिए युद्ध भूमि के पास ही लगे एक शिविर में भोजन बनता था। युद्ध की पूर्व संध्या पर 45 लाख से अधिक लोगों का भोजन बना लेकिन जैसे जैसे योद्धा मारे जाते उसके अगले दिन उतना कम भोजन बनता था। युद्ध के दौरान सैनिकों के लिए खाना बनाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी उडुपी के राजा को मिली थी। वह हर दिन शाम को जब श्रीकृष्ण भगवान को भोजन कराते थे तब श्रीकृष्ण के भोजन करते वक्त उन्हें पता चल जाता था कि कल कितने लोग मरने वाले हैं और कितने बचेंगे।

ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण प्रतिदिन उबली हुई मूंगफली या चावल खाते थे। उडुपी के राजा का कहना था कि मैं हर रात श्रीकृष्ण के शिविर में जाता था। उन्हें उबली हुई मूंगफली बेहद पसंद है, इसलिए मैं उसे ही देने उनके पास जाता था। रात में श्रीकृष्ण उबली हुई मूंगफली के कुछ ही दाने ग्रहण करते थे, और बचे हुए दाने वे पात्र में ही छोड़ देते थे।

मैं सुबह जाकर उन दानों की गिनती करता, इससे मुझे पता चल जाता था कि उन्होंने रात्रि में कितने दाने ग्रहण किए। यदि उन्होंने दस दाने खाए तो इसका मतलब है कि युद्ध में अगले दिन दस हजार सैनिक मारे जाएंगे। यदि पांच खाए, तो 5 हजार मारे जाएंगे। इसी के आधार पर भोजन भी तैयार किया जाता था।

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