आपने आज तक कई फिल्मों में देखा होगा या साधुओं के बारे में सुना होगा कि वे हिमालय जैसी ठंडी जगह पर भी बिना कपड़ों के रहते हैं या फिर नाम मात्र के कपड़े पहन कर रखते हैं। वहां चारों ओर बर्फ ही बर्फ होती है। यहाँ पर हम रहने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं। तो आखिर साधु कैसे इस वातावरण में रह लेते हैं? इन्हे ठंड क्यों नहीं लगती है? इसी बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

हिमालय में आज भी हजारों ऐसे स्थान हैं, जिनको देवी-देवताओं और तपस्वियों के रहने का स्थान माना जाता है। हिमालय में जैन, बौद्ध और हिन्दू संतों के कई प्राचीन मठ और गुफाएं हैं। आज भी कई ऐसे तपस्वी हैं, जो हजारों वर्षों से तपस्या कर रहे हैं। इस संबंध में हिन्दुओं के दसनामी अखाड़े, नाथ संप्रदाय के सिद्धि योगियों के इतिहास का अध्ययन किया जा सकता है।

हिंदू संत और हिमालय के साधु अपने शरीर को गर्म रखने के लिए योग के रहस्यों को जानते हैं। इसके अलावा ये विभिन्न सिद्धियां प्राप्त कर के अपने शरीर पर काबू पा लेते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि वे अक्सर अपने शरीर को अपने धुनी या पवित्र अग्नि से विभूति (राख) से लपेट कर रखते हैं।

इसके अलावा यह एक का इन्सुलेट पेस्ट बनाते है, और ठंड और अत्यधिक गर्मी दोनों को दूर करने में आश्चर्यजनक रूप से प्रभावी है। शरीर के तापमान को विनियमित करने के लिए इस तरह के ध्यान अभ्यास की पुष्टि आधुनिक विज्ञान द्वारा की गई है।

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