वह स्त्री जिसका महाभारत में द्रौपदी से भी बड़ा बलिदान है! आप भी नहीं जानते होंगे
महाभारत हिन्दुओं का सबसे पवित्र ग्रंथ है। इसमें कई पात्रों के बारे में वर्णन किया गया है। महाभारत में सबसे अधिक द्रौपदी के बारे में चर्चा हुई है। द्रौपदी के अलावा गांधारी, कुंती के नाम भी आपने सुने होंगे।
लेकिन इस दौरान सबसे बड़ा बलिदान हिडिम्बा नाम की स्त्री का था जो कि हस्तिनापुर के परिवार की कुलवधू होते हुए भी हस्तिनापुर में रहती नहीं थी। आज हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं।
महाभारत की कथा के अनुसार कई बार दुर्योधन ने पांडवों की हत्या का षडयंत्र रचा परंतु वह निष्फल रहा। लेकिन अपनी जान बचाते हुए पांडव वहां से दैत्य वन की तरफ चले गए। उस वन में हिडिम्ब नाम का एक दैत्य अपनी बहन हिडिम्बा के साथ निवास करता था।
हिडिम्ब राक्षस को वन में मनुष्यों की दुर्गन्ध आ गई और उसने अपनी बहन को उन सबको ले आने के लिए भेजा। अपने भाई का आदेश मानकर हिडिम्बा वहां पर गई; जहाँ पर चार पांडव अपनी माता के साथ विश्राम कर रहे थे।
महाबली भीम उन सब की रक्षा कर रहे थे। भीम को देखकर हिडिम्बा उस पर मोहित हो गई और उसने भीम के समक्ष प्रेम प्रस्ताव रख दिया। लेकिन तभी वहां पर हिडिम्ब राक्षस आ गया और ये देख कर उसे बहुत गुस्सा आया।
उस राक्षस ने अपनी बहन को भला-बुरा कहा और पांडवों को मारने का प्रयास किया। तब भीम और हिडिम्ब का युद्ध हुआ, जिसमें हिडिम्ब मारा गया। उस समय हिडिम्बा ने माता कुंती से कहा कि मैं आपके पुत्र भीम को प्रेम करती हूँ, इसलिए आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे अपनी पुत्रवधू स्वीकार कर लीजिये।
हिडिम्बा की बात सुनकर कुंती ने हिडिम्बा को पुत्रवधू के रूप में स्वीकार कर लिया परंतु साथ में यह शर्त भी रख दी कि भीम और हिडिम्बा का जो पुत्र होगा; उसका हस्तिनापुर के उपर कोई अधिकार नहीं होगा। उसके बाद भीम और हिडिम्बा साथ रहने लगे, हिडिम्बा ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम घटोत्कच रखा गया।